Electric Current 12th Physics Notes Pdf Download विद्युत धारा, vidyut dhaara chapter 5
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Chapter - 5
विधुत धारा
प्रतिरोध :- किसी चालक के सिरों पर आरोपित विभवांतर और धारा के अनुपात को प्रतिरोध जाता है
R = V/I
1Ω की परिभाषा :- यदि किसी चालक के सिरों पर 1 वोल्ट विभवांतर आरोपित करने पर उसमें 1AMP की धारा प्रवाहित हो तो चालक का प्रतिरोध 1Ω होगी।
ज्यामिति के आधार पर किसी चालक का प्रतिरोध :-
=> चालक की लंबाई के समानुपाती होता है R ∝ L (-1)
=> अनुप्रस्थ काट क्षेत्रफल के व्युत्क्रमानुपाती होता है
समीकरण (-1) व (-2) से
R ∝ 1/A
R ∝ P×{L/A}
{यहा p एक नियतांक है इसे चालक का विशिष्ट प्रतिरोध या प्रतिरोधकता कहते हैं
प्रतिरोधकता :- image
प्रतिरोधों का संयोजन :-
(1) प्रतिरोधों का श्रेणी क्रम संयोजन :- जब दो या दो से अधिक प्रतिरोध इस प्रकार संयोजित हो कि सभी प्रतिरोधों से प्रवाहित धारा एक समान हो प्रतिरोधों का श्रेणी क्रम संयोजन कहलाता है
=> यदि प्रथम प्रतिरोध का अंतिम शिरा दूसरे प्रतिरोध के प्रारंभिक सिरे से तथा दूसरे प्रतिरोध का अंतिम सिरा तीसरे प्रतिरोध के प्रारंभिक सिरे से जुड़ा हो तो इसे प्रतिरोधों का श्रेणी क्रम संयोजन कहा जाता है
=> श्रेणी क्रम संयोजन में सभी प्रतिरोधों में धारा एक समान प्रवाहित होती है जबकि विभवांतर भिन्न-भिन्न होता है
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श्रेणी क्रम संयोजन में तुल्य प्रतिरोध सभी प्रतिरोधों के योग के बराबर होता है
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(2) प्रतिरोधों का समांतर क्रम संयोजन :- जब दो या दो से अधिक संधारित्रो के प्रारंभिक सिरे एक साथ तथा अंतिम सिरे जुड़े हो इसे प्रतिरोधों का समांतर क्रम संयोजन कहते हैं
समांतर क्रम संयोजन में सभी प्रतिरोधों के सिरों पर विभवांतर समान तथा धारा भिन्न-भिन्न होती है
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प्रतिरोधकता पर ताप का प्रभाव :- जब चालकों का ताप बढ़ाया जाता है तो उसके मुक्त इलेक्ट्रॉनों से टकराने की दर बढ़ जाती है जिसे औसत विश्रांति काल के मान में कमी आती है
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प्रतिरोध पर ताप का प्रभाव :- चालको का ताप बढ़ने पर प्रतिरोध बढ़ता है
यदि T1c पर प्रतिरोध R1 तथा T2c पर प्रतिरोध R2 है तो
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प्रतिरोधकता ताप गुणांक :- png image
सैल :- यह एक ऐसी युक्ति है जो रासायनिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में बदलती है
सेल दो प्रकार के होते हैं -
(1) प्राथमिक सेल (2) द्वितीयक सेल
सेल का विद्युत वाहक बल :- एकांक धन आवेश को सेल के धन सिरे से पूरे परिपथ में प्रवाहित करके पुनः धन सिरे तक लाने में किया गया कार्य अर्थात सेल द्वारा दी गई उर्जा सेल का विद्युत वाहक बल कहलाता है
E = wq
मात्रक - Volt
=> खुले परिपथ में सेल के सिरों पर विभवांतर सेल का विद्युत वाहक बल कहलाता है
सेल की टर्मिनल वोल्टता :-
बंद परिपथ में सैल के सिरों पर विभवांतर सेल की टर्मिनल वोल्टता कहलाती है इसे v व्यक्त करते हैं
=> सेल के निरावेशन (काय) समय विद्युत वाहक बल टर्मिनल वोल्टता से अधिक होता है
=> सेल के आवेशन के समय विद्युत वाहक बल टर्मिनल वोल्टता से कम होता है
=> विद्युत वाहक बल और टर्मिनल वोल्टता में यह अंतर सेल के आंतरिक प्रतिरोध के कारण उत्पन्न होता है
सेल का आंतरिक प्रतिरोध :- सेल के विद्युत अपघटन के आयनों द्वारा धारा प्रवाह में उत्पन्न अवरोध को सेल का आंतरिक प्रतिरोध कहते हैं इसे r से व्यक्त करते हैं
Note - आदर्श सेल का आंतरिक प्रतिरोध शून्य होता है
सेल का आंतरिक प्रतिरोध निम्न कारकों पर निर्भर करता है :-
(1) विद्युत अपघट्य की प्रकृति पर,सांद्रता, ताप आदि।
(2) इलेक्ट्रोडो के बीच की दूरी के अनुक्रमानुपाती
(3) सेल के इलेक्ट्रोडो के डूबे हुए भाग के क्षेत्रफल के व्युत्क्रमानुपाती होता है
(4) सेल के दोष पर (ध्रुवण स्थानिय क्रिया)
(5) सेल से ली गई धारा पर
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सैलो का श्रेणी क्रम संयोजन :- जब एक सेल का ऋण सिरा दूसरे सेल के धन सिरे से तथा दूसरे सेल का ऋण सिरा तीसरे के धन सिरे से जुड़ा हो तो इस प्रकार के संयोजन को सेल का श्रेणी क्रम संयोजन कहते हैं
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Note - सैलो का श्रेणी क्रम संयोजन तभी श्रेष्ठ है जब बाह्य प्रतिरोध आंतरिक प्रतिरोध की तुलना में बहुत अधिक हो।
सैलो का समांतर क्रम संयोजन :- जब दो या दो से अधिक सेलों के धन सिरे एक साथ तथा ऋण सिरे एक साथ जुड़े हो तो इस प्रकार के संयोजन को सैलो का समांतर क्रम संयोजन कहते हैं
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