RBSE 10th Class - Genetics chapter important question 2021 परीक्षा कि दृष्टि से - आनुवंशिकी पाठ के महत्वपुर्ण प्रश्न उत्तर परीक्षा 2021
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Chapter - 3
आनुवंशिकी ( Genetics )
नोटः - मॉडल पेपर के अनुसार इस अध्याय से खण्ड अ में दो प्रश्न 1-1 अंक के व खण्ड ब में एक प्रश्न 2 अंक का आ सकता है ।
1 . आनुवंशिकी ( जेनेटिक्स ) शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम किस वैज्ञानिक ने किया ।
( क ) मेण्डल ( ख ) बेटसन ( ग ) मॉर्गन ( घ ) पुनेट
उत्तर : - ( ख ) बेटसन
2 . मेण्डल ने अपने प्रयोग किस पर किये ? ( 2021 मॉडल पेपर )
( क ) टमाटर ( ख ) सेव ( ग ) उद्यान मटर ( घ ) गाजर
उत्तर : - ( ग ) उद्यान मटर
3 . जब F , पीढी का संकरण किसी एक जनक से कराया जाता है तो उसे कहते हैं
( क ) व्युत्क्रम संकरण ( ख ) टेस्ट संकरण ( ग ) संकरपूर्वज संकरण ( घ ) उपरोक्त सभी
उत्तर : - ( ग ) संकरपूर्वज संकरण
4 . संकरण Tt x tt से प्राप्त सन्तति का अनुपात होगा
( क ) 3 : 1 ( ख ) 1 : 1 ( ग ) 1 : 2 : 1 ( घ ) उपरोक्त सभी
उत्तर : - ( ख ) 1 : 1
5 . निम्न में से किस वैज्ञानिक ने कारक शब्द को जीन का नाम दिया
( अ ) जॉनसन ( ब ) कार्ल कोरेन्स ( स ) ह्यूगो डी वीज ( घ ) उपरोक्त सभी
उत्तर : - ( अ ) जॉनसन
6 . हेरिडिटी शब्द का प्रतिपादन किया गया
( अ ) बेटसन ( ब ) स्पेन्सर ( स ) मेण्डल ( घ ) उपरोक्त सभी
उत्तर : -( ब ) स्पेन्सर
7 . मेण्डल के किस नियम की प्रस्तुति से जीन संकल्पना की पुष्टि होती है
( अ ) प्रभाविता का नियम ( ब ) पृथक्करण का नियम ( स ) उपरोक्त सभी
उत्तर : - ( ब ) पृथक्करण का नियम
8 . उद्यान मटर का वानस्पतिक नाम है
( अ ) एलियम सीपा ( ब ) माइमोसोपुडिका ( स) पाइसम सेटाइवा ( द ) सोलेनस ट्यूबरोसोम
उत्तर : - ( स) पाइसम सेटाइवा
9 . मेण्डल के नियमों की पुनःोज की
( अ ) 1901 ( ब ) 1900 ( स ) 1903 ( द ) 1902
उत्तर : - ( ब ) 1900
10 . द्विसंकर क्रॉस में F में समलक्षणी अनुपात होता है
( क ) 3 : 1 ( ब ) 1 : 2 : 1 ( स ) 9 : 3 : 3 : 1 ( द ) 9 : 2 : 2 : 2
उत्तर : - ( स ) 9 : 3 : 3 : 1
11 . आनुवंशिकी क्या है ?
उत्तर : - जीव विज्ञान की वह शाखा जिसमें सजीवों के लक्षणों की आनुवंशिकता व विभिन्नताओं का अध्ययन किया जाता है , आनुवंशिकी कहते हैं ।
12 . आनुवंशिकी के जनक का नाम
उत्तर : - ग्रेगर जॉन मेण्डल ।
13 . मेण्डल का जन्म कहां हुआ
उत्तर : - आस्ट्रिया के हेन्जेनडॉर्फ प्रान्त के सिलिसियन गांव में ।
14 . मेण्डल ने किस पादप पर अपने प्रयोग किये ।
उत्तर : - उद्यान मटर ( पाईसम सेटाइवम )
15 . मेण्डल ने अपने निष्कर्ष किस पत्रिका में प्रस्तुत किये ।
उत्तर- ब्रुन सोसायटी ऑफ नेचुरल हिस्ट्री । मेण्डलवाद की पुनःोज कौनसे वैज्ञानिकों ने की ।
उत्तर- ( i ) हौलेण्ड के झूगो डी ब्रीज ( ii ) जर्मनी के कार्ल कोरेन्स ( iii ) आस्ट्रिया के एरिक वॉन शेरमेक ।
17 . जीन को परिभाषित कीजिए ।
उत्तर- जीन - वह कारक जो किसी एक लक्षण को नियंत्रित करता है , जीन कहते है । मेण्डल के कारक को जॉहनसन ने जीन नाम दिया ।
18 . प्रभावी लक्षण को परिभाषित कीजिए ।
उत्तर- वह लक्षण जो E पीढी में अपने आपको अभिव्यक्त कर पाता है
प्रभावी लक्षण कहलाता है ।
19 . युग्म विकल्पी का क्या अर्थ है ?
उत्तरः- युग्म विकल्पी- किसी एक लक्षण को नियंत्रित करने वाले जीन के दो विपर्यासी स्वरूपों को युग्म विकल्पी कहते हैं । जैसे पौधे की ऊँचाई को नियंत्रित करने वाले जीन के दो युग्म विकल्पी T ( लम्बापन ) व । ( बौनापन ) है ।
20 . सजीवों में लैंगिक जनन की क्रिया के समय युग्मकों द्वारा विभिन्न लक्षणों का पीढ़ी दर पीढ़ी संचरण होना क्या कहलाता है ?
उत्तर- सजीवों में लैंगिक जनन की क्रिया के समय युग्मकों द्वारा विभिन्न लक्षणों का पीढ़ी दर पीढी संचरण होना वंशागति कहलाता है ।
21 . मेण्डल की सफलता के कारण लिखिये ।
उत्तर : - ( i ) एक समय में एक ही लक्षण की वंशागति का अध्ययन । ( ii ) संकरण प्रयोग के सभी आंकड़ों का सावधानीपूर्वक सांख्यिकीय विश्लेषण । ( iii ) प्रयोग के लिये सही पादप का चुनाव ।
22 . मेण्डल ने अपने प्रयोग के लिये मटर के पौधे को ही क्यों चुना ?
उत्तर : - मेण्डल ने अपने प्रयोगों के लिए उद्यान मटर पादप का चयन किया क्योंकि
1. एक वर्षीय पादप होने के कारण मटर के पादप से कम समय में अनेक पीढ़ियों का अध्ययन किया जाना सम्भव था ।
2. द्विलिंगी पुष्प होने कारण स्वपरागण के द्वारा समयुग्मजी पादप सरलता से प्राप्त किया जा सकता है । 3. विपुंसन विधि द्वारा कृत्रिम परपरागण आसानी से किया जा सकता है ।
4. मटर के पौधे में विभिन्नसात जोडी विपर्यासी लक्षणों के जोड़े पाये जाते हैं
अप्रभावी अग्रस्थ पादप के लक्षण प्रभावी
1 . पादप की ऊंचाई लम्बा बौना
2 . पुष्प की स्थिति कक्षीय
3. परिपक्व फली की आकृति फूली हुई संकीर्णित
4 . अपरिपक्व फली का रंग हरा
5 . बैंगनी सफेद
6 . बीज की आकृति गोलाकार झुरीदार
7 . बीज का रंग पीला
23 . समयुग्मजी व विषमयुग्मजी किसे कहते हैं ?
उत्तर- समयुग्मजी- जब किसी लक्षण को नियंत्रित करने वाले जीन के दोनों युग्म विकल्पी एक समान हो तो उसे समयुग्मजी कहते हैं । जैसे TT JT tt विषमयुग्मजी । नियत्रित करने वाले जीन के दोनों युग्मविकल्पी असमान हों तो उसे विषमयुग्मजी कहते हैं जैसे- TE
24 . .लक्षणप्ररूप व जीनप्ररूप
उत्तर : - लक्षण प्ररूप- किसी सजीव की बाह्य प्रतीती को लक्षण प्ररूप कहते हैं । जैसे- लम्बे पौधे समयुग्मजी ( TT ) या विषमयुग्मजी ( Tt ) हो सकते हैं । यहाँ लम्बाई लक्षण प्ररूप है । जीन प्ररूप- किसी सजीव की आनुवंशिकीय रचना को जीन प्ररूप कहते हैं । जैसे- शुद्ध या समयुग्मजी लम्बा ( TT ) व अशुद्ध या विषमयुग्मजी लम्बा ( Tt ) ।
25 . मेण्डल के प्रयोगों में F , व F पीढ़ी से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर- F पीढ़ी- जनकों के संकरण से प्राप्त पीढ़ी को F पीढ़ी कहते है । F पीढ़ी – E पीढ़ी के संकरण से प्राप्त संतति को F , पीढ़ी कहते है ।
26 . निम्नलिखित अनुपात बताइए एक संकर संकरण का लक्षण प्ररूप अनुपात -3 : 1 एक संकर संकरण का जीन प्ररूप अनुपात- 1 : 2 : 1 द्वि संकर संकरण का लक्षण प्ररूप अनुपात - 9 : 3 : 3 : 1 द्वि संकर सकरण का जीन प्ररूप अनुपात -1 : 2 : 2 : 4 : 1 : 11 : 2 : 1 व्युत्क्रम संकरण किसे कहते है ?
उत्तरः- व्युत्क्रम संकरण -वह संकरण जिसमें A पादप ( TT ) को नर व B पादप ( tt ) को मादा जनक के रूप में प्रयुक्त किया जाता है तथा दूसरे संकरण में A पादप ( TT ) को मादा व B पादप ( at ) को नर जनक के रूप में प्रयुक्त किया जाता है । व्युत्क्रम संकरण कहते हैं ।
28 . संकरपूर्वज संकरण से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर- संकरपूर्वज संकरण या पश्च संकरण – वह संकरण जिसमें F पीढ़ी के पादप ( Tt ) का संकरण प्रभावी जनक ( tt ) से या अप्रभावी जनक ( tt ) के साथ कराया जाता है तो इसे संकरपूर्वज संकरण कहते हैं । इस क्रॉस के परिणामस्वरूप सभी पौधे लम्बे होते हैं जिनमें 50 प्रतिशत समयुग्मजी ( tt ) तथा 50 प्रतिशत विषमयुग्मजी लम्बे ( ( T ) पौधे प्राप्त होते हैं । ये दो प्रकार का होता है- बाह्य संकरण व परीक्षण संकरण । बाह्य संकरणः- F पीढ़ी के पादप ( Tt ) का संकरण प्रभावी जनक ( TT ) से करवाया जाता है तो उसे बाह्यसंकरण कहते हैं । Fi पीबी विषमयुग्मजी प्रभावी जनक समयुग्मजी Tt बाह्य संकरण TT T t T TT TT Tr Tt परीक्षण संकरण- यदि F पीढ़ी ( Tt ) का संकरण अप्रभावी जनक ( tt ) के साथ कराया जाता है तो इसे परीक्षण संकरण ( Test Cross ) कहते हैं इस संकरण से प्राप्त संतति में लक्षण प्ररूप एवं जीन प्ररूप समान अर्थात् 1 : 1 प्राप्त होता है । 50 % विषमयुग्मजी लम्बे ( Tt ) तथा 50 % समयुग्मजी पौधे ( tt ) पौधे प्राप्त होते हैं । F , पीढी विषमयुग्मजी अप्रभावी जनक समयुग्मजी Tt परीक्षण सकरण T Tt Tt tt en
29 . मेण्डल के प्रभाविता के नियम को सउदाहरण समझाइये । ( RBSE 2019 )
उत्तर- प्रभाविता का नियम- यह नियम मेण्डल द्वारा प्रतिपादित एक संकर संकरण के परिणामों पर आधारित है । इस नियम के अनुसार जब एक लक्षण के लिए विपर्यासी समयुग्मजी पादपों में संकरण कराया जाता है तो वह लक्षण जो F , पीढ़ी में अपनी अभिव्यक्ति दर्शाता है , प्रभावी लक्षण कहलाता है तथा वह लक्षण जो F पीढ़ी में अपनी अभिव्यक्ति नहीं दर्शाता है उसे अप्रभावी लक्षण कहते हैं ।
30 . एक संकर संकरण की सहायता से पृथक्करण का नियम या युग्मकों की शुद्धता का नियम समझाइये । या मेडल का पृथ्यकरण या युग्मकों की शुद्धता का नियम क्या है ? इस नियम को उदाहरण व रेखा चित्र द्वारा समझाइए ।
उत्तर : यह नियम मेण्डल के एक संकर संकरण के परिणामों पर आधारित है । इस नियम के अनुसार F पीढ़ी के संकर या विषमयुग्मजी से युग्मक बनते समय दोनों युग्मविकल्पी एक दूसरे से पृथक होकर अलग अलग युग्मकों में चले जाते हैं । अतः इसे पृथक्करण का नियम या विसयोजन का नियम कहते हैं तथा प्रत्येक युग्मक में एक लक्षण के लिये एक युग्मविकल्पी पाया जाता है अतः इसे युग्मकों की शुद्धता का नियम भी कहते हैं । उदाहरण- यदि समयुग्मजी लम्बे ( TT ) एवं समयुग्मजी बौने ( ix ) पौधों में संकरण कराया जाता हैं तो पीढ़ी में सभी विषमयुग्मजी लम्बे ( Tt ) पौधे प्राप्त होते हैं । विषययुग्मजी में दोनों युग्मविकल्पी साथ - साथ रहते हुए एक - दूसरे से संदूषित नहीं होते है . युग्मक बनते समय दोनों युग्मविकल्पी एक - दूसरे से पृथक होकर अलग - अलग युग्मकों में पहुँच जाते । जिस कारण F , पीढ़ी में बौनेपन ( ii ) का लक्षण फिर से प्रकट हो जाता है । F , पीढ़ी का लक्षण प्ररूप अनुपात 3 : 1 तथा जीन प्ररूप अनपात 1 : 2 : 1 प्राप्त होता है । जनक TT पोटी T मिशन T T 6,46 TT TE Sub
31 . मेण्डल के आनुवंशिकता नियमों का महत्त्व लिखिये । या मेण्डल के वंशागति के नियमों चार महत्व लिखिये । ( RBSE 2019 )
उत्तर : मेण्डल के नियमों का महत्त्व निम्नलिखित है
1. मेण्डल के नियमों की सहायता से उन्नत व संकर प्रजातियों को उत्पन्न किया जाता है ।
2. प्रजनन विज्ञान में मेण्डल के नियमों का बड़ा योगदान है ।
3. असाध्य रोगों की पहचान करने व उपचार में सहायक है ।
4. मेण्डल के कार्यों से जैव तकनीक और जैव अभियांत्रिकी को भी बल मिला ।
5. पृथक्करण नियम से जीन संकल्पना की पुष्टि ।
6. पृथक्करण के नियमानुसार एक जीन के दो युग्मविकल्पी होते हैं जो दो लक्षणों को नियंत्रित करते हैं ।
7. संकर संतति में नये लक्षणों का पता चलता है ।
8. अनुपयोगी लक्षणों को हटाना व उपयोगी लक्षणों को एक ही जाति में लाना ।
9. रोग प्रतिरोधक व अधिक उत्पादन वाली पौधों की किस्मतें विकसित करना ।
10. मानव जाति में सुधार से संबंधित विज्ञान की शाखा सुजननिकी मेण्डल नियमों पर आधारित है ।
32 . . स्वतंत्र अपव्यूहन के नियम को चैकर बोर्ड कीI सहायता से समझाइये ।
उत्तर- इस नियम के अनुसार जब दो या दो से अधिक विपर्यासी लक्षणों युक्त पादपों का संकरण कराया जाता है तो एक लक्षण की वंशागति का दूसरे लक्षण की वंशागति पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है , अर्थात विभिन्न लक्षणों के युग्मविकल्पी स्वतंत्र रूप से अपव्यूहित होते द्वि संकर संकरण का
लक्षण प्ररूप अनुपात : -9 : 3 : 3 : 1
द्वि संकर संकरण का जीनप्ररूप अनुपात : - 1 : 2 : 2 : 4 : 1 : 2 : 1 : 2 : 1
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