12th Physics Notes Pdf Download विधुत धारा के चुम्बकीय प्रभाव(Electromagnetic effects of current) chapter 7
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lesson - 7
विधुत धारा के चुम्बकीय प्रभाव
विधुत धारा के चुम्बकीय प्रभाव :- विद्युत धारा का वह प्रभाव जिसके अंतर्गत चालक पदार्थों में धारा प्रवाहित करने पर चालक चुंबक की तरह व्यवहार प्रदर्शित करता है धारा का यह प्रभाव चुंबकीय प्रभाव कहलाता है
Note - विद्युत धारा के चुंबकीय प्रभाव की खोज सर्वप्रथम ओरेस्टेड नामक वैज्ञानिक ने की थी
ओरेस्टेड प्रयोग :- ओरस्टेड नामक वैज्ञानिक ने विद्युत परिपथ में बैटरी कुंजी तांबे की कुंडली द्वारा धारा संचरण की कुंडली के समीप स्थित चुंबकीय (कंपास) दिशा सूचक में विक्षेपण उत्पन्न होता है कुंजी को बंद करने पर यह विक्षेपण रुक जाता है
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निष्कर्ष :- कुंडली में प्रवाहित धारा कुंडली को चुंबक में परिवर्तित कर देती है अतः कुंडली में जब तक धारा संस्कृत होती है कंपास विक्षेपित होता है
कुंडली में धारा संचरण अवरुद्ध करने पर कंपास में कंपन बंद हो जाता है अर्थात कुंडली पुनः सामान्य हो जाती है
चुम्बक (magnet) :- वह ठोस पदार्थ जिसके द्वारा लोहे वस्तुओं को आकर्षित किया जाता है एवं स्वतंत्रता पूर्वक लटकाए जाने पर वह सदैव उत्तर एवं दक्षिण दिशा में ठहरे चुंबक कहलाता है
चुंबक सामान्यतः निम्न दो प्रकार के होते हैं
(1) प्राकृतिक चुंबक - प्रकृति द्वारा प्राप्त वह पदार्थ जिसके द्वारा दुर्बल रूप से लोहे वस्तु को आकर्षित किया जाता है प्राकृतिक चुंबक कहलाता है
जैसे - मैग्नेटाइट, हेमेटाइट
(2) कृत्रिम चुंबक - चुंबक का वह प्रकार जिसका निर्माण कृत्रिम रूप से मिश्र धातु (Al, Ni, Co) से किया जाता है कृत्रिम चुंबक कहलाता है
कृत्रिम चुंबक की दक्षता अधिक होती है
चुंबकीय क्षेत्र की तीव्रता (B) :- चुंबकीय क्षेत्र से संबंधित वह भौतिक राशि जिसके द्वारा चुंबक की लोहे पदार्थों को आकर्षित करने की क्षमता का बोध होता है चुंबकीय क्षेत्र की तीव्रता कहलाती है
इसका मात्रक - टेसला (Tesla)
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बायो सार्वत नियम (B.S.L) :- बायो सार्वत नियम अनुसार धारावाही चालक तार द्वारा उत्पन्न चुंबकीय क्षेत्र की तीव्रता का मान सदैव धारा अल्पास लंबाई कोण की ज्या के समानुपाती एवं दूरी के वर्ग के व्युत्क्रमानुपाती होती है
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धारावाही चालक वृत्ताकार चालक तार द्वारा उत्पन्न चुंबकीय क्षेत्र की तीव्रता :-
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परमाण्विक इलेक्ट्रॉन द्वारा उत्पन्न चुंबकीय क्षेत्र की तीव्रता :- बोर के अनुसार परमाणु में इलेक्ट्रॉन वृत्ताकार कक्षाओं में चक्कर लगाते हैं अर्थात गति करते हुए इलेक्ट्रॉन द्वारा अल्प मान की धारा व चुंबकीय क्षेत्र की तीव्रता उत्पन्न होती है अतः परमाण्विक इलेक्ट्रॉन द्वारा उत्पन्न चुंबकीय क्षेत्र की तीव्रता B होगी
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चुंबकीय क्षेत्र की तीव्रता की दिशा :- चुंबकीय क्षेत्र की तीव्रता की दिशा निम्न नियमों की सहायता से की जाती है
(1) - दाएं हाथ का अंगूठा नियम :- फ्लेमिंग के दक्षिणी अस्त नियमानुसार दाएं हाथ का अंगूठा धारा की दिशा दर्शाए तो मुड़ी हुई उंगलियां सदैव चुंबकीय क्षेत्र की तीव्रता की दिशा प्रदर्शित करेंगी
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SNOW नियम :- SNOW नियमानुसार यदि कोई मनुष्य तार में धारा की दिशा दक्षिण से उत्तर की ओर है तो उसके ऊपरी भाग में चुंबकीय क्षेत्र की तीव्रता सदैव पश्चिम की ओर होगा
SNOW - North - Inserted -west
पेच नियम (screw law) :- पेच नियमानुसार पेच की तीक्ष्णता सतह धारा की दिशा को व्यक्त करें तो पेज के कस ने की दिशा सदैव चुंबकीय क्षेत्र की तीव्रता की दिशा को व्यक्त करेंगी
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चुंबकीय बल (लॉरेंज बल) F :- लॉरेंज बल के नियम अनुसार चुंबकीय क्षेत्र में गतिशील आवेशित कण सदैव चुंबकीय बल उत्पन्न करता है यह चुंबकीय बल आवेश, वेग, चुंबकीय क्षेत्र की तीव्रता, कोण की ज्या के समानुपाती होता है
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चुंबकीय बल की दिशा के नियम :- लॉरेंज बल या चुंबकीय बल की दिशा ज्ञात करने के लिए दो प्रचलित नियम है
(1) दाएं हाथ की हथेली का नियम :- इस नियम के अनुसार वेग धारा की दिशा को व्यक्त करें सीधी उंगली चुंबकीय क्षेत्र की दिशा को दर्शाए तो हथेली सदैव चुंबकीय बल या लॉरेंज बल की दिशा को प्रदर्शित करेगी
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(2) - फ्लेमिंग का वाम हस्त नियम :- इस नियमानुसार तर्जनी चुंबकीय क्षेत्र की दिशा दर्शाए एवं मध्यमा धारा या वेग की दिशा दर्शाए तो अंगूठा सदैव चुंबकीय बल की दिशा को इंगित करेगा।
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धारावाही चालक तार द्वारा उत्पन्न चुंबकीय बल :- माना धारावाही चालक पर चुंबकीय क्षेत्र B में स्थित है चुंबकीय बल के द्वारा तार की स्थिति में परिवर्तन आता है
माना एक धारावाही चालक था जिसमें धारा I प्रवाहित होती है अतः लोरेंज के अनुसार चुंबकीय क्षेत्र की उपस्थिति में तार पर चुंबकीय बल उत्पन्न होगा।
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लंबे सीधे धारावाही चालक तार द्वारा उत्पन्न चुंबकीय क्षेत्र की तीव्रता :-
माना की L लंबाई का तार जिसकी बिंदु x व y बिंदु p से ɸ1 व ɸ2 कोण निर्मित करते हैं तार के मध्य बिंदु Q से बिंदु p के बीच दूरी पर d है। अतः तार द्वारा उत्पन्न चुंबकीय क्षेत्र की तीव्रता B होगी।
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आवेशित कण की चुंबकीय क्षेत्र में वृत्ताकार गति :-
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साइक्लोट्रॉन ( Cyclotron) :- वह विद्युतीय उपकरण जिसके अंतर्गत भारी धन आवेशित कण अल्फा प्रोटोन ड्यूट्रॉन को त्वरित कर उच्च गति ऊर्जा का निर्माण किया जाता है साइक्लोट्रॉन कहलाता है।
सिद्धांत :- साइक्लोट्रॉन इस सिद्धांत पर कार्य करता है कि आवेशित कण चुंबकीय क्षेत्र की उपस्थिति में वृत्ताकार पथ पर गतिशील हो जाता है साइक्लोट्रॉन में भारी धन आवेशित कण वृत्तीय पथ पर गतिशील होते हैं जिनके द्वारा उच्च गतिज ऊर्जा प्राप्त होती है।
संरचना :- साइक्लोट्रॉन में दो धन आवेशित D आकार की परत उपस्थित होती है जिन्हें डीज (Dees) कहा जाता है डीज (Dees) के मध्य स्रोत S उपस्थित होता है जिसके द्वारा प्रोटोन अल्फा वह ड्यूट्रॉन (धनावेशित एवं भारी) उत्पन्न किए जाते हैं
दो डिज को प्रत्यावर्ती स्रोत से संयोजित किया जाता है जिसे दोलित्र कहा जाता है दोनों डीज (Dees) को दोनों चुंबक को के रखते हैं।
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क्रियाविधि :- image
उपयोग :-
उच्च गति युक्त वाहन जैसे बुलेट ट्रेन, जेट प्लेन इत्यादि में साइक्लोट्रॉन का प्रयोग किया जाता है
सुरंग बनाने वाली मशीनों में भी इसका उपयोग किया जाता है
वेब फिल्टर (वेग छनन) :- साइक्लोट्रॉन में प्रयुक्त वह प्रक्रिया जिसके द्वारा निश्चित मान के वेग द्वारा विद्युत व चुंबकीय क्षेत्र को पार किया जाता है वह फिल्टर कहलाता है
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समांतर धारावाही चालक तारों पर एकांक लंबाई पर लॉरेंज बल :- माना कि समांतर चालक तारों के मध्य की दूरी R एवं दोनों तारों में धारा i1,i2 संचरित होती है अतः तार पर चुंबकीय बल व चुंबकीय क्षेत्र की तीव्रता उत्पन्न होती है धारा समान होने की स्थिति में एकांक लंबाई पर उत्पन्न बल होगा माना कि समांतर बल
a) धारा सामान होने की स्थिति में -
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(b) धारा असमान होने की स्थिति में - images
एंपीयर का परिपथिय नियम (A.C.L) - एंपीयर के परिपथ में नियमानुसार धारावाही तार द्वारा उत्पन्न चुंबकीय क्षेत्र की तीव्रता का रेखीय समाकलन धारा के बीजगणितीय योग के गुणनफल के बराबर होता है
अथवा
एंपीयर के परिपथ यह नियम अनुसार चुंबकीय क्षेत्र तीव्रता एवं लंब सदिश का अदिस गुणनफल सदैव धारा एवं निर्वात की चुंबकिय शीलता के गुणनफल के बराबर होता है
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सीधे धारावाही चालक तार द्वारा उत्पन्न चुंबकीय क्षेत्र की तीव्रता :- एंपीयर के परिपथ यह नियम अनुसार अनंत रेखीय सीधे धारावाही तार द्वारा उत्पन्न चुंबकीय क्षेत्र तीव्रता एवं लंब सदिश के मध्य कोण की स्थिति में उत्पन्न चुंबकीय क्षेत्र की तीव्रता B होगी।
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टोरोइड - वह विद्युतीय उपकरण जिसका निर्माण वलयकार कुचालक भाग में धारावाहिक तार लपेटने से किया जाता है टोरोइड कहलाता है।
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आयताकार धारावाही कुंडली पर चुंबकीय क्षेत्र में बल एवं बलाघूर्ण -
माना आयताकार कुंडली चुंबकीय क्षेत्र B में V वेग से स्थित है कुंडली में धारा I प्रवाहित करने पर विपरीत दिशा में बल युग्म उत्पन्न होते हैं जिससे पृथ्वी घूर्णन करती है।
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परिनलिका - वह विद्युतीय उपकरण जिसका निर्माण बेलनाकार कुचालक भाग में धारावाही चालक तार के घूर्णन द्वारा किया जाता है परिनालिका कहलाती है
एंपीयर के परिपथ के नियमानुसार चुंबकीय क्षेत्र भी लंब सदिश के कोण के आधार पर चुंबकीय क्षेत्र की तीव्रता प्रदर्शित की जाएगी परिनालिका में काल्पनिक आयताकार PQRS भाग द्वारा उत्पन्न चुंबकीय क्षेत्र की तीव्रता B होगी।
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Note - उपरोक्त सूत्र परिनालिका के अक्ष पर उत्पन्न चुंबकीय क्षेत्र तीव्रता को उत्पन्न करता है अतः एक किनारे पर उत्पन्न चुंबकीय क्षेत्र की तीव्रता B' होगी
धारामापी (गैल्वेनोमीटर) :- वह विद्युतीय उपकरण जिसके द्वारा धारा का मान AMP में किया जाता है धारामापी कहलाती है
=> प्रकृति के आधार पर धारामापी निम्न दो प्रकार की होती है
(1) चल कुंडली धारामापी -
=> चल कुंडली धारामापी को निलंबित कुंडली धारामापी भी कहते हैं
धारामापी का वह प्रकार जिसके अंतर्गत धारावाही आयताकार कुंडली द्वारा वर्णन एवं ऐठन द्वारा धारा का मापन किया जाता है निलंबित कुंडली धारामापी कहलाती है
=> सिद्धांत - चल कुंडली धारामापी इस सिद्धांत पर कार्य करती है कि ऐठन युक्त कुंडली में धारा का संचरण अधिक होता है अर्थात बल आघूर्ण सदैव ऐठन के साथ परिवर्तन प्रदर्शित करता है
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=> संरचना - चल कुंडली धारामापी में धारावाही तार से निर्मित आयताकार कुंडली उच्च मान के चुंबकीय क्षेत्र में पेच द्वारा कसी हुई होती है जिससे कुंडली ऐठन प्रदर्शित करती है इस ऐंठन को देखने के लिए दर्पण की सहायता ली जाती है
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चल कुंडली धारामापी में चालक तार फास्फोरस ब्रॉज नामक धातु से निर्मित होते हैं जिससे की तार मुड़ने पर आसानी से टूटे नहीं
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धारा सुग्राहिता - एकांक धारा द्वारा धारामापी में उत्पन्न ऐठन कोण धारा सुग्राहिता कहलाता है
विभव सुग्राहिता - एकांत विभव द्वारा धारामापी में उत्पन्न ऐठन को विभव सुग्राहिता कहलाता है
उपयोग - भोतिक विज्ञान की प्रयोगशाला में धारा मापन में सहयोगी
औद्योगिक इकाइयों में विद्युत मीटर के रूप में
Q - दो चल कुंडली गैल्वेनोमीटर में निम्न भौतिक राशियां प्रदर्शित है तो तीनों की धारा सुग्राहिता एवं वोल्टता सुग्राहिता का अनुपात ज्ञात करो?
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(2) कीलकित धारामापी/रुद्रोल धारामापी/वेस्टन धारामापी :- धारामापी का वह प्रकार जिसके द्वारा धारा किलो या पेचों की सहायता से कुंडली में प्रवाहित धारा का मापन किया जाता है गिलगित धारामापी कहलाती है इस धारामापी में कुंडली साम्यावस्था के इर्द-गिर्द * प्रदर्शित करती है
सिद्धांत :- किलकित धारामापी इस सिद्धांत पर कार्य करता है कि स्प्रिंग धारा बन्धित कुंडली चुंबकीय क्षेत्र की उपस्थिति में घूर्णन प्रदर्शित कर अल्प मान का ऐंठन दर्शाती है। यह ऐंठन त्रिज्य चुंबकीय क्षेत्र अवतलाकार चुंबकीय द्वारा उत्पन्न किया जाता है।
संरचना :- कीलकीत धारामापी में दो वृत्तीय स्प्रिंगो T1,T2 की सहायता से कार्बन निर्मित ठोस भाग (चूल) उपस्थित होते हैं जिसके द्वारा कुंडली एक दिशा में घूर्णन प्रदर्शित करती है
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किलकित धारामापी में कुंडली साम्यावस्था के इधर-उधर दोलन प्रदर्शित करती है
क्रियाविधि :- कुंडली के दोलन का वेग एवं प्रवर्ति कुंडली से प्रवाहित धारा को प्रदर्शित करती है
उपयोग :-
=> धारामापी को एमिटर में रूपांतरित करना
=> धारामापी को वोल्ट मीटर में परिवर्तित करना
एमिटर (Ameter) :-
=> वह वह विद्युत उपकरण जिसके द्वारा विद्युत धारा की वह विद्युत उपकरण जिसके द्वारा विद्युत धारा की मात्रा का मापन किया जाता है
=> धारामापी को एमिटर में रूपांतरित करने के लिए संट (Shunt) संयोजित किया जाता है
=> धारामापी से समांतर क्रम में संयोजित अल्प मान के प्रतिरोध को संट कहा जाता है
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वोल्टमीटर :- वैद्युत यह उपकरण जिसके द्वारा विभव का मापन किया जाता है वोल्टमीटर कहलाता है
धारामापी का वोल्ट मीटर में रूपांतरित करने के लिए धारामापी के श्रेणी क्रम में उच्च प्रतिरोध संयोजित किया जाता है
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धारावाहि कुंडली द्वारा अक्ष पर चुंबकीय क्षेत्र की तीव्रता :-
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हेल्म होल्टज कुंडली :- वे धारावाहि कुंडलीया जिन के मध्य की दूरी उनकी त्रिज्या के बराबर होती है हेल्म होल्टज कुंडली कहलाती है
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हेल्म होल्टज कुंडली धाराप्रवाह सामान परिमाण व समान दिशा में चुम्बकीय क्षेत्र को उत्पन्न करने में प्रयुक्त की जाती है दोनों कुंडलियां के द्वारा समरूप चुंबकीय क्षेत्र तीव्रता उत्पन्न की जाती है जिनकी सहायता से विद्युतीय मोटर सामान रूप से घूर्णन प्रदर्शित करती है
हेल्म होल्टज कुंडली मैं चुंबकीय क्षेत्र केंद्र के सापेक्ष उत्पन्न किया जाता है
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हेल्म होल्टज कुंडली मैं चुंबकीय क्षेत्र नदी परिवर्तन बिंदुओं के आसपास के भाग में समरूपता से उत्पन्न होता है
Note - हेल्म होल्टज कुंडलीयाँ का उपयोग समरूप चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न करने में किया जाता है जिससे कि मोटर सामान दक्षता से क्रियान्वित होती है
वोल्ट मीटर व अमीटर में अंतर लिखिए?
वोल्ट मीटर -
=> इसके द्वारा विभव का मापन किया जाता है
=> इसमें प्रतिरोध उच्च होता है
=> इसे श्रेणी क्रम में संयोजित किया जाता है
=> वोल्टमीटर सदैव परिपथ में समांतर क्रम में संयोजित किया जाता है
अमीटर -
=> किसके द्वारा धारा का मापन किया जाता है
=> इसमें प्रतिरोध अल्प होता है
=> इसे समांतर क्रम में संयोजित किया जाता है
=> एमीटर सदैव परिपथ मैं श्रेणी क्रम में संयोजित किया जाता है
साइक्लोट्रॉन नामक उपकरण की सीमा या कमी लिखिए?
1) साइक्लोट्रॉन मात्र भारी आवेशित कणों पर क्रियान्वित होता है हल्के करो जैसे इलेक्ट्रॉनों पर यह क्रियाशील नहीं होता है परंतु सिंक्रोट्रॉन नामक उपकरण इलेक्ट्रॉन को त्वरित कर देता है
2) साइक्लोट्रॉन मात्र धन आवेशित कणों अल्फा कण प्रोटोन ड्यूट्रॉन पर क्रियान्वित होता है परंतु परिणाम घोषित करो पर नहीं
3) साइक्लोट्रॉन उदासीन कणों न्यूट्रॉन पर क्रियान्वित नहीं होता है
4) आवेशित कण का द्रव्यमान आइंस्टीन सापेक्षिक सिद्धांत की पालना करता है अर्थात वेग बढ़ाने से द्रव्यमान में आभासी परिवर्तन आता है जिससे गतिज ऊर्जा नियत रहती है
5) साइक्लोट्रॉन में गतिज ऊर्जा का कुछ भाग उसमें ऊर्जा में परिवर्तित हो जाता है
निलंबित कुंडली की सीमा बंधन या कमियां लिखिए?
1) चल कुंडली धारामापी द्वारा ऊर्जा का कुछ भाग ऊष्मीय ऊर्जा में रूपांतरित हो जाता है जिससे कुंडली गर्म हो जाती है
2) धारामापी द्वारा धारा के प्याठ्यांक में अल्प त्रुटि प्रदर्शित की जाती है
3 चल कुंडली धारामापी बार-बार ऐठन के कारण टूट जाती है
आवेशित कण का वक्रीय /हेलिकल/सर्पिलाकार पथ :-
=> आवेशित कण वैद्युत में चुंबकीय क्षेत्र में वेग के घटकों के रूप में गतिशील होता है जिससे कण का पथ सर्पिलाकार हो जाता है
=> आवेशित कण थीटा कोण से गतिशील होकर सर पिलाकर पद ग्रहण करता है
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=> आवेशित कण द्वारा एक गुणन में चली गई दूरी पिच (चूड़ी) अंतराल कहलाती है
बेलनाकार धारावाही चालक ठोस द्वारा उत्पन्न चुंबकीय क्षेत्र की तीव्रता :-
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