D or F Block Elements 12th Class Chemistry Notes In Hindi Pdf Download D or f ब्लॉक के पूरे नोट्स Chapter no 8
D or f ब्लॉक के पूरे नोट्स इन हिंदी सरल भाषा में
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Lesson - 8
D एवं F ब्लॉक के तत्व
D एवं F ब्लॉक के तत्व :-
(1) - वे तत्व जिनका इलेक्ट्रॉन D कक्षक में भरा जाता है, D ब्लॉक के तत्व कहलाते हैं
(2) D ब्लॉक के तत्व आवर्त सारणी में S ब्लॉक व P ब्लॉक के तत्वों के मध्य उपस्थित होते हैं इसलिए D ब्लॉक के तत्वों को संक्रमण तत्व कहा जाता है
(3) D ब्लॉक के सभी तत्व संक्रमण धातु तत्व नहीं होते हैं परंतु सभी संक्रमण धातु तत्व D ब्लॉक के तत्व होते हैं
(4) आवर्त सारणी में D ब्लॉक के तत्व की चार श्रेणियां उपस्थित होती है
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(5) D ब्लॉक के तत्व के तत्वों का सामान्य इलेक्ट्रॉन (n-1)d{1-10}(ns){1-2}
[n = अंतिम कोश]
Note - D ब्लॉक के तत्वों के ns व (n-1)d कक्षको की ऊर्जा ओ में बहुत कम अंतर होने के कारण इनके इलेक्ट्रॉन विन्यास में अनेक अपवाद देखने को मिलते हैं
-:- 3D श्रेणी :- यह श्रेणी 21SC से 30ZN तक होती है
3D श्रेणी का इलेक्ट्रॉन विन्यास (अक्रीय गैस (n-1)d{1-10}(ns){1-2} ) होता है
ट्रिक्स - शक्ति वक्रमन फीको निकुंजन
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-:- 4D श्रेणी का इलेक्ट्रॉन विन्यास :- यह श्रेणी 39Y से 48Cd तक होती है
इस श्रेणी का इलेक्ट्रॉन विन्यास (n-1)d{1-10}(ns){1-2} n=5
(3,6,9 अपवाद है)
ट्रिक्स - ये जरा नवाब मोहित तुम रुके रहना पड़ेंगे आज कोड़े
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-:- 5D श्रेणी का इलेक्ट्रॉन विन्यास :- यह श्रेणी लेंथनम(57L) से Hg (80Hg) होती है
इस श्रेणी में 58 से 71 तक 4F ब्लॉक के तत्व होते हैं
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-:- 6D श्रेणी का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास :- यह श्रेणी Ac (89) से शुरू होकर Uub (112) तक होती है इस श्रेणी में परमाणु क्रमांक 90। से 103 तक के तत्व F ब्लॉक के तत्वों के बीच में स्थित होते हैं यह एक अपूर्ण श्रेणी है
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Important Question
Q -1 संक्रमण धातु तत्वों की आधुनिक परिभाषा लिखिए?
Ans - (1) वे तत्व जिनके परमाणु में अथवा किसी सामान्य आयन में (1 या 2 इलेक्ट्रॉन निकलने के बाद) अर्ध पूरित d कक्षक उपस्थित होते हैं संक्रमण धातु तत्व कहलाते हैं जैसे Cu परमाणु में अर्ध पूरित d कक्षक होते हैं लेकिन इनके Cu+2 आयन में अंश पूरित d कक्षक उपस्थित होने के कारण यह एक संक्रमण तत्व है
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(2) Zn संक्रमण धातु तत्व नहीं है क्योंकि Zn के परमाणु में Zn+2 आयन में अंश पूरित d कक्षक उपस्थित नहीं होते हैं
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Q -2 Zn,Cd, व Hg को संक्रमण तत्व नहीं माना जाता क्यों?
Ans - Zn,Cd, व Hg के परमाणु में तथा आयन में अंश पूरित d कक्षक उपस्थित नहीं होते हैं अतः इन्हें संक्रमण तत्व नहीं माना जाता लेकिन ये d ब्लॉक के तत्व होते हैं
Q - 3 Ag परमाणु की मूल अवस्था में पूर्ण पूरित d कक्षक हैं आप कैसे कह सकते हैं कि यह एक संक्रमण तत्व है?
Ans - 47Ag [Kr] 4d(10) 5s1
47Ag+2 [Kr] 4d(9)
Ag परमाणु के 4d10 विन्यास है लेकिन Ag+2 आयन में 4d9 विन्यास है अर्थात अंश पूरित d कक्षक उपस्थित है इस आधार पर हम कह सकते हैं कि Ag एक संक्रमण तत्व है
Q - 4 d ब्लॉक के तत्वों का अध्ययन श्रेणियों के आधार पर किया जाता है क्यों?
अथवा
d ब्लॉक के तत्वों में ऊर्ध्वाधर समानता के साथ-साथ क्षेतिज समानताएं भी होती है क्यों?
Ans - तत्वों के अधिकांश गुण उनके बाह्यतम कोश में उपस्थित इलेक्ट्रॉनों की संख्या पर निर्भर करते हैं यदि बाह्यतम कोष में इलेक्ट्रॉनों की संख्या समान है तो तत्वों के अधिकांश गुण भी समान होते हैं
d ब्लॉक के बाह्यतम कोश में ns2 विन्यास होता है अतः यह तत्व ऊर्ध्वाधर समानता के साथ-साथ क्षेतिज समानताएं भी प्रदर्शित करते हैं
क्षेतिज समानताएं प्रदर्शित करने के कारण डd ब्लॉक के तत्वों का अध्ययन श्रेणियों के आधार पर किया जाता है
-:- संक्रमण तत्व के अभिलाक्षणिक :- वे गुण जिन्हें संक्रमण तत्वों की पहचान होती है अभिलाक्षणिक गुण कहलाते हैं
यह निम्न है
(1) परिवर्तनशील ऑक्सीकरण अवस्था प्रदर्शित करते हैं
(2) रंगीन योगिक बनाने की प्रवृत्ति होती है
(3) अनु चुंबकीय योगिक बनाने की प्रवृत्ति होती है
(4) मिश्र धातु बनाने की प्रवृत्ति होती है
(5) संकुल यौगिक बनाने की प्रवृत्ति होती है
(6) इन धातुओं को उत्प्रेरक के रूप में काम में लेते हैं (उत्प्रेरक गुण होता है)
-:- संक्रमण तत्व के सामान्य गुण :-
(A) गलनांक :-
(1) किसी धातु तत्व के बाह्यतम कोश में उपस्थित अयुग्मित इलेक्ट्रॉन धात्विक बंध बनाने में भाग लेते हैं धातु परमाणु के पास जितनी ज्यादा संख्या में युग्मित इलेक्ट्रॉन उपस्थित होंगे उस धातु के द्वारा उतना ही प्रबल धात्विक बंध का निर्माण होगा जिससे धातु का गलनांक भी उतना ही उच्च होगा।
(2) संक्रमण धातु तत्वों के ns इलेक्ट्रॉन के साथ (n-1)d के अयुग्मित इलेक्ट्रॉन भी धात्विक बंध बनाने में भाग लेते हैं इस प्रकार एक संक्रमण धातु तत्व के द्वारा अधिक संख्या में धात्विक बंध बनाये जाते हैं यही कारण है कि संक्रमण धातु तत्व के गलनांको के मान अत्यधिक उच्च होते हैं
(3) एक श्रेणी में बाएं से दाएं चलने पर गलनांक मध्य तक बढ़ते हैं और इसके बाद गलनांक घटते हैं और श्रेणी के अंतिम तत्व का गलनांक न्यूनतम होता है इसका कारण यह है कि श्रेणी के मध्य तक अयुग्मित इलेक्ट्रॉनों की संख्या बढ़ती है इसके पश्चात घटने लगती है
(4) 3d श्रेणी में mn का गलनांक अपेक्षा से बहुत कम होता है क्योंकि Mn का विन्यास अर्ध पूरित होता है अर्थात 3d5 4s2 होता है इस विन्यास के स्थाई हो जाने से d कक्षको में इलेक्ट्रॉन का धात्विक बंध बनाने में योगदान कम हो जाता है अतः Mn का गलनांक अपेक्षा से कम होता है
(5) 3d श्रेणी में Cr का गलनांक सबसे अधिक है Zn का गलनांक सबसे कम होता है
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(6) सभी धातु तत्व टंगस्टन(w) का गलनांक सर्वाधिक होता है तथा मर्करी (Hg) का गलनांक न्यूनतम होता है
Q - 5 अपनी अपनी श्रेणियों में के गलनांक न्यूनतम होते हैं क्यों?
Ans - Zn,Cd, व Hg का विन्यास स्थाई वह पूर्ण पूरित होता है इसमें परमाणु के पास अयुग्मित इलेक्ट्रॉन नहीं होते हैं इसलिए इन परमाणु ओ के द्वारा बहुत ही दुर्बल धात्विक बंद का निर्माण होता है यही कारण है कि अपनी-अपनी श्रेणियों में Zn,Cd, व Hg के गलनांक न्यूनतम होता है
Note - Zn,Cd, व Hg का गलनांक कम होने के कारण इन धातुओं में वाष्पशीलता का गुण पाया जाता है
(B) परमाणु त्रिज्या :-
(1) एक संक्रमण श्रेणी में बाएं से दाएं चलने पर परमाणु त्रिज्या लगभग मध्य तक घटती है इसके पश्चात स्थिर रहती है और अंत में बढ़ जाती है
(2) सामान्यतः तत्वों के आवर्त में बाएं से दाएं चलने पर परमाणु त्रिज्या का मान लगातार घटता है
(3) संक्रमण श्रेणी में परमाणु त्रिज्या का मान नाभिकीय आवेश व परीरक्षण प्रभाव दोनों के द्वारा निर्धारित होता है नाभिकीय आवेश के बढ़ने से परमाणु त्रिज्या बढ़ती है और परिरक्षण प्रभाव के बढ़ने से परमाणु त्रिज्या भी बढ़ती है
(4) जैसे-जैसे उपांतह कोष में इलेक्ट्रॉनों की संख्या बढ़ती है परिरक्षण प्रभाव भी वैसे वैसे बढ़ता है
(5) 3d श्रेणी में Sc से Cr तक चलने पर d कक्षको में इलेक्ट्रॉनों की संख्या बहुत कम बढ़ती है अर्थात परिरक्षण प्रभाव कम होता है इसकी तुलना में नाभिकीय आवेश लगातार बढ़ता है अतः Sc से Cr तक परमाणु त्रिज्या घटती है
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(6) 3d श्रेणी में Cr से Ni तक चलने पर d कक्षको मैं इलेक्ट्रॉनों की संख्या बढ़ती है तथा परिरक्षण प्रभाव भी बढ़ता है जो बढ़ते हुए नाभिकीय आवेश को संतुलित कर देता है अतः Cr से Ni तक परिरक्षण प्रभाव व नाभिकीय आवेश बराबर हो जाते हैं जिससे परमाणु त्रिज्या स्थिर रहती है
(7) 3d श्रेणी के अंतिम कोष में Cu व Zn के कक्षा एक पूर्ण पूरी हो जाते हैं जिससे परिरक्षण प्रभाव नाभिकीय आवेश की तुलना में अधिक हो जाता है जिससे परमाणु त्रिज्या भी बढ़ती है
Q - 6 3d श्रेणी से 4d श्रेणी में जाने पर परमाणु त्रिज्या बढ़ती है लेकिन 4d श्रेणी से 5d श्रेणी में जाने पर परमाणु त्रिज्या स्थिर रहती हैं क्यों ?
Ans - 3d से 4d मैं चलाने पर एक कोश की संख्या बढ़ जाती है जिससे परमाणु त्रिज्या का मान भी बढ़ जाता है 4d श्रेणी से 5d श्रेणी में चलने पर एक कोर्स की संख्या बढ़ जाती है लेकिन परमाणु त्रिज्या का मान स्थिर रहता है इसका कारण यह है कि 5d श्रेणी के उपांतह कोष मैं अचानक से f इलेक्ट्रॉन आ जाती हैं जिसका परिरक्षण प्रभाव कम होता है जिससे नाभिकीय आवेश बढ़ जाता है जिससे नाभिक का आकर्षण बल का मान अंतिम को उसके इलेक्ट्रॉन पर ज्यादा होता है जिससे परमाणु त्रिज्या स्थिर रहती है
(C) कणन एंथैल्पी :-
(1) गैसीय अवस्था में 1 mol पदार्थ में उपस्थित आबंधो को तोड़कर उसे परमाणु में विभक्त करने के लिए आवश्यक ऊष्मा कणन एंथैल्पी कहलाती है
(2) यदि धातुओं में परमाणु ओ के मध्य प्रबल धात्विक बंध बना है तो इस बंधन को तोड़ने के लिए अधिक ऊर्जा की आवश्यकता होगी अर्थात ऐसे परमाणु की कणन एंथैल्पी उच्च होगी
Q - 7 संक्रमण धातु की कणन एंथैल्पी उच्च होती है क्यों?
Ans - संक्रमण धातु परमाणु के पास अधिक संख्या मे अयुग्मित इलेक्ट्रॉन होते हैं,जिससे धातु परमाणुओं के बीच प्रबल धात्विक बंध बनता है इस बंध को तोड़ने के लिए अधिक ऊर्जा की आवश्यकता होगी यही कारण है कि संक्रमण धातु की कणन एंथैल्पी भी उच्च होती है
Q - 8 3d श्रेणी में Zn की कणन एंथैल्पी न्यूनतम होती है क्यों?
Ans - Zn संक्रमण धातु के पास कोई अयुग्मित इलेक्ट्रॉन नहीं होते हैं जिससे इस परमाणु के बीच बहुत ही दुर्बल बंध बनता है यह आसानी से दूर हो जाता है यही कारण है कि Zn की कणन एंथैल्पी 3D श्रेणी में न्यूनतम होती है
Imp*
(D) ऑक्सीकरण अवस्था :- एक संक्रमण धातु तत्व कही ऑक्सीकरण अवस्था प्रदर्शित करता है यह गुण परिवर्तनशील ऑक्सीकरण अवस्था का गुण कहलाता है
Q - 9 संक्रमण धातु है परिवर्तनशील ऑक्सीकरण अवस्था का गुण प्रदर्शित करती है क्यों?
Ans - संक्रमण धातु तत्व के (n-1)d व ns कक्षकों की ऊर्जा ओ में बहुत कम अंतर होने के कारण ns से इलेक्ट्रॉन निकल जाने के पश्चात (n-1)d के अयुग्मित इलेक्ट्रॉन भी निकल जाते हैं जिससे एक धातु तत्व कि कहीं ऑक्सीकरण अवस्था प्रदर्शित होती है
Q - 10 संक्रमण धातु की ऑक्सीकरण अवस्था ओ में परिवर्तन शीलता का गुण तथा असंक्रमण धातु ओ में(p ब्लॉक)की ऑक्सीकरण अवस्था में परिवर्तन शीलता के गुण से किस प्रकार भिन्न है?
Ans - संक्रमण धातु ओ में परिवर्तनशील ऑक्सीकरण अवस्था (n-1)d व ns कक्षकों की ऊर्जा ओ में बहुत कम अंतर होने के कारण जिससे n (s) के इलेक्ट्रॉन निकल जाने के पश्चात (n-1)d के अयुग्मित इलेक्ट्रॉन भी एक-एक करके बाहर निकल जाते हैं Mn+2 से +7 तक ऑक्सीकरण अवस्था दर्शाता है
Imp*
Q - 11 Fe कि +2 ऑक्सीकरण अवस्था की तुलना में +3 ऑक्सीकरण अवस्था ज्यादा स्थाई होती है क्यों?
Ans -
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Fe की +3 ऑक्सीकरण अवस्था में fe कब विन्यास अर्धपूरित होता है जो एक स्थाई विन्यास है अतः Fe+3 ऑक्सीकरण अवस्था +2 से ज्यादा स्थाई होती है
Q - 12* Ti की +4 ऑक्सीकरण अवस्था +3 से ज्यादा अधिक स्थाई होती है क्यों?
Ans -
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Ti की +4 अवस्था में इसका विन्यास स्थाई अक्रिय गैस विन्यास होता है अतः +4 ऑक्सीकरण अवस्था +3 से ज्यादा स्थाई होती है
Q - 13* Cr+2 अपचायक है जबकि Mn+3 ऑक्सीकारक है यद्यपि दोनों का विन्यास d4 है?
Ans - इलेक्ट्रॉन त्यागना > ऑक्सीकरण > अपचायक
इलेक्ट्रॉन ग्रहण करना > अपचयन > ऑक्सीकारक
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Cr+2 एक इलेक्ट्रॉन त्याग कर Cr+3 मैं बदल जाता है जिससे स्थाई (t2)3 g eg 0 विन्यास होता है अतः Cr+2 अपचायक प्रवृत्ति का होता है
Mn+3 एक इलेक्ट्रॉन ग्रहण करके Mn+2 मैं बदल जाता है जिससे विन्यास स्थाई अर्ध पूरित होता हैं अतः Mn+3 ऑक्सीकारक प्रवृत्ति का होता है
Q - 14* Cr+2 व Fe+2 मैं से कौन सा प्रबल अपचायक है? और क्यों?
Ans - Fe+2 एक इलेक्ट्रॉन त्यागकर Fe+3 में बदल जाता है जिसमें विन्यास 3d5 होता है जो स्थाई अर्ध पूरित विन्यास है इसी प्रकार Cr+2 एक इलेक्ट्रॉन त्याग करें Cr+3 मैं बदल जाता है जिससे t2g3 विन्यास प्राप्त होता है जो स्थाई विन्यास है
अतः स्पष्ट होता है कि Fe+2 व Cr+2 दोनों ही प्रबल अपचायक हैं लेकिन जलीय विलियन में t2g3 विन्यास 3d 5 विन्यास से अधिक स्थाई होता है इसके कारण Cr+2, Fe+2 से प्रबल अपचायक होगा।
Q - 15 Cr की +3 ऑक्सीकरण अवस्था अपेक्षाकृत अधिक स्थाई होती है क्यों?
Ans -
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Cr+3 ऑक्सीकरण अवस्था में Cr अष्टफलकिय संकुल यौगिक का निर्माण करता है जिससे इसका विन्यास t2g3 eg0 होता है जो एक स्थाई अर्ध पूरित विन्यास है अत: Cr की +3 ऑक्सीकरण अवस्था ज्यादा स्थाई होगी।
Q - 16 संक्रमण धातु ओ का निम्नतम ऑक्साइड क्षारीय होता है जबकि उच्चतम ऑक्साइड अम्लीय होता है क्यों?
Ans -
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आयनिक यौगिक => क्षारीय
सह संयोजक => अम्लीय
धातु उच्च ऑक्सीकरण अवस्था में सह संयोजक ऑक्साइड बनाती है जो अम्लीय होता है क्योंकि उच्च ऑक्सीकरण अवस्था में धातु धनायन ऑक्साइड ऋण आयन का ज्यादा ध्रुवण करते है।इसलिए फायांस के नियमानुसार बंध में सह संयोजक लक्षण बढ़ जाते हैं निम्न ऑक्सीकरण अवस्था में धातु आयनिक ऑक्साइड बनाती है जो क्षारीय होता है क्योंकि कम ऑक्सीकरण अवस्था में धातु धनायन ऋणआयन का कम ध्रुवण कर पाता है जिससे इसके बीच आयनिक बंध बनता है
Q -17 धातुओं के आक्सा ऋणायन में उच्चतम ऑक्सीकरण अवस्था प्रदर्शित होती है ?
Ans - ऑक्सीकरण परमाणु की विद्युतऋणता अधिक व आकार छोटा होने के कारण यह धातु से अधिक संख्या में इलेक्ट्रॉन निकाल लेती है इसके साथ ही ऑक्सीजन में बहु बंध बनाने की क्षमता भी होती है यही कारण है कि धातु के आक्सा ऋणायन में इनकी उच्चतम ऑक्सीकरण अवस्था प्रदर्शित होती हैं
Note - F की तुलना में ऑक्साइड ऋणायन में धातु की उच्च ऑक्सीकरण अवस्था में स्थाईत्व प्रदान करने की क्षमता अधिक होती है क्योंकि O धातु के साथ बना लेती हैं जबकि F नहीं।
(E) संकुल यौगिक बनाने की प्रवृत्ति :- संक्रमण धातु आयन का आकार छोटा होता है तथा इन पर उच्च धन आवेश घनत्व होता है,इसके साथ ही संक्रमण धातु आयनों के पास उच्च संख्या में रिक्त कक्षकों की उपलब्धता होती है इसलिए एक संक्रमण धातुए अधिक संख्या में संकुल यौगिक का निर्माण करती है
Q -18 संक्रमण धातुओ के अधिकांश योगिक रंगीन होते हैं क्यों?
Ans - संक्रमण धातुओ के पास अयुग्मित इलेक्ट्रॉन उपस्थित होते हैं यह इलेक्ट्रोन प्रकाश के दृश्य क्षेत्र से ऊर्जा का अवशोषण करके निम्न ऊर्जा के d कक्षको से उच्च ऊर्जा के d कक्षको में पहुंच जाते हैं यह संक्रमण d-d संक्रमण कहलाता है उच्च ऊर्जा के d कक्षको से पुन: इलेक्ट्रॉन निम्न ऊर्जा के d कक्षको में आता है तो वह ऊर्जा का उत्सर्जन करता है यह उत्सर्जित की गई ऊर्जा रंग के रूप में दिखाई देती है।
Q -19 Ti+4 रंगहीन होता है क्यों?
Ans -
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Ti+4 आयन के पास कोई अयुग्मित इलेक्ट्रॉन उपस्थित नहीं है अतः यहां d-d संक्रमण नहीं होता है जिससे रंग उत्पन्न नहीं होगा।
Q - 20 निम्नलिखित में से कौन सा आयन जलीय विलियन में रंगीन होंगे ? कारण भी लिखिए?
(1) Ti+3
(2) V+3
(3) Cu+1
(4) Se+3
(5) Fe+3
(6) Co+2
Ans -
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(F) संक्रमण धातु ओ के चुंबकीय गुण :-
चुंबकीय गुणों के आधार पर पदार्थ को निम्न तीन भागों में बांटा गया है
(1) प्रतिचुंबकीय पदार्थ :- वे पदार्थ जिन्हे बाह्य चुंबकीय क्षेत्र में रखे जाने पर यह चुंबकीय क्षेत्र की बल रेखाओं को प्रतिकृषित करते हैं ऐसे पदार्थों को चुंबकीय पदार्थ कहते हैं तथा पदार्थ के इस गुण को प्रति चुंबकत्व कहते हैं
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प्रतिचुंबकीय पदार्थ के प्रति चुंबकत्व का कारण उसमें उपस्थित सभी इलेक्ट्रॉनों का युग्मित होना है
प्रति चुंबकीय पदार्थों की सभी इलेक्ट्रॉन युग्मित होने के कारण इनके परिणामी चुंबकीय आघूर्ण का मान्य शून्य प्राप्त होता है
चुंबकीय आघूर्ण = म्यु से व्यक्त करते हैं
म्यू = √n (n+2) = 0
(2) अनु चुंबकीय पदार्थ :- वे पदार्थ जिनको बाह्य चुंबकीय क्षेत्र में रखने पर ये बाह्य चुंबकीय क्षेत्र की बल रेखाओं को आकर्षित करते हैं तो ऐसे पदार्थों को अनु चुंबकीय पदार्थ कहते हैं तथा पदार्थ के इस गुण को अनु चुंबकत्व कहते हैं
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अनु चुंबकीय पदार्थों में अनु चुंबकत्व का कारण इन पदार्थों में उपस्थित इलेक्ट्रॉनों का अयुग्मित होना है
अनू चुंबकीय पदार्थों में अयुग्मित इलेक्ट्रॉन होने के कारण इन पदार्थों के लिए परिणामी चुंबकीय आघूर्ण का शून्य नहीं आता है {म्यू (नॉट इक्वल टू) = 0}
(3) लोह चुंबकीय पदार्थ :- वे पदार्थ जिन्हे बाह्य चुंबकीय क्षेत्र में रखने पर ये बाह्य चुंबकीय क्षेत्र की बल रेखाओं को आकर्षित करते हैं अर्थात अनु चुंबकत्व प्रकट करते हैं लेकिन बाह्य चुंबकीय क्षेत्र हटाने पर भी इनका अनु चुंबकत्व समाप्त नहीं होता है अर्थात यह स्थाई चुंबक की भांति व्यवहार करने लग गए हैं ऐसे पदार्थों को लोहे चुंबकीय पदार्थ कहते हैं
Ex - Fe,Co,Ni,Cro2
Q - 21 निम्नलिखित धातु आयनों के लिए चुंबकीय आघूर्ण का मान बताइए?
(a) V+2
(b) Se+3
(c) Cu+2
Ans -
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(G) संक्रमण धातु ओ के उत्प्रेरकिय गुण :- संक्रमण धातु ए एवं उनके योगीक उत्प्रेरक की तरह व्यवहार करते हैं क्योंकि संक्रमण धातु ओ मैं परिवर्तनशील ऑक्सीकरण अवस्था पाई जाती है तथा संक्रमण धातुए संकुल यौगिक बनाने की प्रवृत्ति रखती है
संक्रमण धातु ओ के उत्प्रेरकिय के गुणों के उदाहरण -
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(H) संक्रमण धातु ओ की मिश्र धातु बनाने की प्रवृत्ति :-
मिश्र धातु बनाने के लिए ऐसी धातु ओ को आपस में मिलाकर पिलाया जाता है जिससे परमाणु त्रिज्या में अधिकतम 15% का अंतर हो अर्थात जिनकी परमाणु त्रिज्याए लगभग समान हो संक्रमण धातुए मिश्र धातु का निर्माण आसानी से कर लेती है क्योंकि इन धातुओं की परमाणु त्रिज्या लगभग समान होती है
जैसे -
Cu+Zn (पीतल)
Cu+Sn (कासा)
Cu+Sn+Zn (गनमेटल)
Cu+Zn+Ni (जर्मन सिल्वर)
=> मिश्र धातुओं की विशेषताएं -
1 मिश्र धातु की कठोरता शुद्ध धातु से अधिक होती है
2 मिश्र धातु का गलनांक शुद्ध धातु से अधिक होता है
3 मिश्र धातु की क्रियाशीलता,चालकता, अघातवर्ध्यनीयता, वह जंग लगने की प्रवृत्ति शुद्ध धातु से कम होती है
(I) संक्रमण धातु ओ की अंतराकाशी योगिक बनाने की प्रवृत्ति -
एक धातु के धात्विक क्रिस्टल में धातु परमाणु के बीच छोटे-छोटे रिक्त स्थान पाए जाते हैं जिन्हें अंतराकाश कहते हैं जब इन अंतराकाशो में छोटे आकार के परमाणु जैसे B,H,C,N, etc. प्रवेश कर जाए तो इससे अंतराकाशी योगिक का निर्माण होता है जैसे TiC,Fe3H,Mn3N
=> अंतराकाशी योगिक की विशेषताएं -
1 यह योगिक अरससमीकरणमितिय होते हैं
2 इन यौगिकों का गलनांक व कठोरता अधिक होती है
3 अंतराकाशी योगिक बनने से धातु की क्रियाशीलता पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है
-:- P ब्लॉक के तत्व :-
P ब्लॉक के तत्व :-
1 वे तत्व जिनका अंतिम इलेक्ट्रॉन (n-2n)f कक्षक में भरा जाता है f ब्लॉक के तत्व कहलाते हैं
2 आवर्त सारणी में f ब्लॉक के तत्व की दो श्रेणियां आती है (a) 4f श्रेणी (b) 5f श्रेणी
3 आवर्त सारणी में f ब्लॉक के तत्व को स्थान नहीं दिया जाता है तथा इन्हें आवर्त सारणी के नीचे लिखा जाता है यह आधुनिक आवर्त सारणी की कमी है
4 f ब्लॉक के तत्व आवर्त सारणी में संक्रमण तत्व के मध्य आते हैं इसलिए इन तत्वों को आंतरिक संक्रमण तत्व भी कहते हैं
5 f ब्लॉक के तत्व प्रकृति में बहुत कम मात्रा में पाए जाते हैं इसलिए इन्हें दुर्लभ तत्व या दुर्बल धातुए भी कहते हैं
-:- F ब्लॉक का इलेक्ट्रॉन विन्यास :-
F ब्लॉक के सामान्य इलेक्ट्रॉन का सूत्र (n-2)f(1-14) (n-1)d (0-1) ns2 होता है
4F श्रेणी का इलेक्ट्रॉन विन्यास - La के बाद आने वाले 14 तत्व को लैंथेनाइड तत्व कहते हैं, ये 4f श्रेणी के तत्व होते हैं, इन तत्वों का परमाणु क्रमांक 58 से 71 तक होता है
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5F श्रेणी का इलेक्ट्रॉन विन्यास -
Ac89 के बाद वाले 14 तत्वों को एक्टिनाइड तत्व कहा जाता है
यह 5f श्रेणी के तत्व होते हैं इनका परमाणु क्रमांक 90 से 103 होता है
5 एक श्रेणी का सामान्य इलेक्ट्रॉन विन्यास का सूत्र
5f(1-14) 6d(0-1,2) 7s2
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5F श्रेणी में V के बाद आने वाले तत्व प्रकृति में नहीं पाए जाते हैं इन तत्वों को मानव द्वारा प्रयोगशाला में संश्लेषित किया जाता है इसलिए इन तत्वों को मानव निर्मित तत्व कहते हैं
Note - प्रथम मानव निर्मित तत्व Tc है (टेक्नीशियन)
Q - 22 लैंथेनाइड संकुचन किसे कहते हैं समझाइए?
Ans - La तत्वों की श्रेणी में बाएं से दाएं चलने पर परमाणु क्रमांक की वृद्धि के साथ-साथ इनकी प्रमाणविक त्रिज्याए व आयनिक त्रिज्या में लगातार कमी आती है इस कमी को ही LA संकुचन कहते हैं
कारण - लैंथेनाइड तत्वों के उपांतह कोशो में F इलेक्ट्रॉन आ जाते हैं जिनका परिरक्षण प्रभाव बहुत ही दुर्बल होता है इस कारण नाभिकीय आवेश में लगातार वृद्धि होती है इस को संतुलित करने वाला परिरक्षण प्रभाव बहुत ही कम बढ़ता है जिससे परमाणु व आयनिक त्रिज्या में कमी आती है
Q - 23 Ac संकुचन किसे कहते हैं अथवा एक्टिनाइड संकुचन किसे कहते हैं ?
Ans - Ac श्रेणी में परमाणु क्रमांक बढ़ने के साथ-साथ प्रमाणविक व आयनिक त्रिज्या ओ में लगातार कमी आती है यह कमी ही एक्टिनाइड संकुचन कहलाती है
Q - 24 लैंथेनाइड संकुचन का प्रभाव बताइए?
Ans - La संकुचन के कारण 4D व 5D श्रेणियों की परमाणु त्रिज्या ए लगभग समान हो जाती है जैसे Hf व Zr (जीरकोनियम) Nb व Ta तथा Mo व W तत्वों की त्रिज्या के समान है
इसलिए इन तत्वों के युग्म को जूड़ता तत्व कहते हैं
Q - 25 मिश धातु किसे कहते हैं इसका उपयोग बताइए?
Ans - लैंथेनाइडो से बनने वाली मिश्र धातु को मिश धातु कहते हैं
मिश धातु में लगभग 95% La तथा 5% Fe (आयरन), कैल्शियम,एल्यूमीनियम, होती है
उपयोग -
1 मिश धातु का उपयोग बंदूक की गोली कवच बनाने में किया जाता है
Q - 26 La संकुचन की तुलना में Ac संकुचन अधिक होता है?
Ans - 4f की तुलना में 5 f कक्षक का आकार अधिक फैला होने के कारण 5f कक्षक का परीक्षण प्रभाव 4fe इसलिए Ac श्रेणी का संकुचन La से ज्यादा होता है
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