Electromagnetic induction 12th Physics Notes Pdf Download विधुत चुम्बकीय प्रेरण chapter 9 || विधुत चुम्बकीय प्रेरण chapter 9

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Lisson - 9

विद्युत चुंबकीय प्रेरण

 विद्युत वाहक बल :- वैज्ञानिक फैराडे ने सर्वप्रथम यह सिद्धांत प्रतिपादित किया कि जब किसी चालक कुंडली में संबंध चुंबकीय फ्लक्स में परिवर्तन होता है तो चालक कुंडली या विद्युत परिपथ में विद्युत वाहक बल उत्पन्न होता है जिसे प्रेरित विद्युत वाहक बल कहते हैं


=> यदि परिपथ बंद हो तो इस प्रेरित विद्युत वाहक बल के कारण परिपथ में विद्युत धारा प्रवाहित होती है जिसे प्रेरित विद्युत धारा कहते हैं तथा परिपथ के खुले होने पर प्रेरित धारा का प्रवाह नहीं होता है

=> चालक की कुंडली या विद्युत परिपथ में संबंध चुंबकीय फ्लक्स में परिवर्तन के कारण प्रेरित विद्युत वाहक बल उत्पन्न होने की इस घटना को विद्युत चुंबकीय प्रेरण कहते हैं

=> परिवर्तित चुंबकीय क्षेत्र द्वारा विद्युत वाहक बल अर्थात विद्युत धारा उत्पन्न होने की घटना विद्युत चुंबकीय प्रेरण कहलाती है

चुम्बकीय फलक्स :- चुंबकीय क्षेत्र में किसी पृष्ठ अल्पांश के तल के लंबवत गुजरने वाली चुंबकीय बल रेखाओं की संख्या चुंबकीय फ्लक्स कहलाती है जो कि चुंबकीय क्षेत्र की तीव्रता व पृष्ठ अल्पांश के सदिस क्षेत्रफल के अदिश गुणनफल के बराबर होती है

dθ = B.dA[सदिस]

यहाँ θ,B व dA मध्य बनने वाला कोण है

चुंबकीय फ्लक्स एक अदिश भौतिक राशि है


Note - प्रष्ट अल्फांस के सदिश क्षेत्रफल की दिशा पृष्ठ के तल के लंबवत होती है


स्थितिया -

यदि θ = 0° अर्थात् चुंबकीय क्षेत्र तथा पृष्ठ अल्पांश का सदिश क्षेत्रफल एक ही दिशा में हो या पृष्ठ अल्पांश का तल चुंबकीय क्षेत्र के लंबवत है

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यदि θ = 90°  अर्थात चुंबकीय क्षेत्र B व dA  लंबवत हो या पृष्ठ चुंबकीय क्षेत्र के समांतर हो

यदि θ = 180° अर्थात चुंबकीय क्षेत्र B तथा पृष्ठ अल्पांश के सदिस क्षेत्रफल तल विपरीत दिशा में हो

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 चुंबकीय फ्लक्स का मात्रक

IS - Webber

CGS - Maxwell

1Webber = 10( की घात 8)Maxwell

Note - 1Webber चुंबकीय फ्लक्स कि वह मात्रा जो एकांक क्षेत्रफल वाले पृष्ठ के चुंबकीय क्षेत्र के लंबवत रखने पर पृष्ठ से से गुजरती है

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Q - 1 image


Q - 2 image

 फैराडे के प्रयोग :-

फैराडे का प्रथम प्रयोग -
=> जब तक छड़ चुंबकीय क्षेत्र में स्थिर रहतीं हैं या चालक कुंडली व छड़ चुंबक के मध्य आपेक्षिक गति का वेग शून्य हो तो कुंडली से जुड़ा धारामापी सुन्य विक्षेप दर्शाता है

=> जब कुंडली को स्थिर रखते हुए छड़ चुंबक के N ध्रुव को कुंडली के सिरे के निकट लगाया जाता है तो धारामापी किसी एक दिशा में विक्षेप दर्शाता है

=>N ध्रुव को कुंडली से दूर ले जाने पर धारामापी विपरीत दिशा में विक्षेप दर्शाता है

=> चुंबक को स्थिर रखते हुए कुंडली को गति कराने पर धारामापी विक्षेप दर्शाता है

=> यदि छड़ चुंबक के S ध्रुव को कुंडली के निकट लाया जाए या कुंडली के दूसरे और ले जाते हैं तो धारामापी पहले की स्थिति उसके विपरीत दिशा में विकसित दर्शाता है

=> छड़ चुंबक को कुंडली के निकट तेजी से लाने पर धारामापी द्वारा अधिक विक्षेप दर्शाया जाता है

=> कुंडली के घेरों की संख्या में वृद्धि करने पर विकसित की मात्रा में वृद्धि हो जाती है

=> कुंडली में लोहे चुंबकीय पदार्थ रखे जाने पर विकसित की मात्रा में वृद्धि होती है


फैराडे का द्वितीय प्रयोग :-
=> जब कुंजी को बंद कर के प्रथम कुंडली में विद्युत धारा का प्रवाह प्रारंभ किया जाता है तो निकटवर्ती द्वितीयक कुंडली के सिरों के मध्य जुड़ा धारामापी में किसी एक दिशा में क्षणिक विक्षेप उत्पन्न होता है

=> प्रथम कुंडली में नियत मान की धारा एक ही दिशा में प्रवाहित होने तक निकटवर्ती कुंडली से जुड़ा धारामापी शून्य विक्षेप दर्शाता है

=> वैसे ही प्रथम कुंडली से कुंजी को हटाकर धाराप्रवाह बंद किया जाता है तो निकटवर्ती द्वितीयक कुंडली के सिरों के मध्य जुड़ा धारामापी विपरीत दिशा में क्षणिक विक्षेप दर्शाता है

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 फैराडे के नियम :- फैराडे के विद्युत चुंबकीय प्रेरण के दो नियम दिए

 फैराडे का प्रथम नियम :-  इस नियम के अनुसार जब किसी चालक कुंडली से संबंध चुंबकीय फ्लक्स के मान में परिवर्तन होता है तो कुंडली में प्रेरित विद्युत वाहक बल तथा प्रेरित विद्युत धारा उत्पन्न होती है तथा उत्पन्न प्रेरित विद्युत वाहक बल तब तक ही उत्पन्न होता है जब तक चुंबकीय फ्लक्स में परिवर्तन होता रहता है


फैराडे का द्वितीय नियम :- इस नियम के अनुसार कुंडली में उत्पन्न प्रेरित विद्युत वाहक बल फ्लक्स में परिवर्तन की दर के समानुपाती होता है

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संलग्न ग्राफ किसी समय आश्रित चुंबकीय क्षेत्र को दर्शाता है जो कि चालक लू पर एक समान रूप से अस्तित्व में होता है चुंबकीय क्षेत्र की दिशा लू के तल के लंबवत है चित्र चार भागों में A,B,C,D को प्रेरित विद्युत वाहक बल के आधार पर अधिकतम को पहले लेते हुए क्रम से जमाइए?

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imp*
लेन्ज का नियम :-
इस नियम के अनुसार विद्युत चुंबकीय प्रेरण कि प्रत्येक अवस्था में प्रेरित विद्युत वाहक बल तथा प्रेरित धारा की दिशा इस प्रकार होती है कि यह उन कारणों का विरोध करती है जिसके कारण उसकी उत्पत्ति हुई है

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लेन्ज का प्रयोग :-

=> जब चुंबक का उत्तरी ध्रुव कुंडली की ओर गतिशील है तो कुंडली में धारा वामावर्त दिशा में प्रवाहित होती है फलस्वरूप कुंडली का वह सिरा जो चुंबक की ओर है उत्तरी ध्रुव की भांति व्यवहार करता है

=> यदि चुंबक का दक्षिणी ध्रुव कुंडली की ओर है तो चुंबक के कुंडली के समीप ले जाने पर कुंडली का वह सिर्फ जो चुंबक की ओर दक्षिण ध्रुव की भांति व्यवहार करता है

=> जब चुंबक के उत्तरी ध्रुव को कुंडली से दूर ले जाया जाता है तो कुंडली में धारा दक्षिणावर्त दिशा में प्रवाहित होती है फल स्वरुप चुंबक की ओर वाला सिरा दक्षिणी ध्रुव की भांति व्यवहार करता है

=> यदि चुंबक का दक्षिणी ध्रुव कुंडली से दूर ले जाया जाता है तो कुंडली का वह सिर्फ जो चुंबक की और उत्तरी ध्रुव की भांति व्यवहार करता है तथा कुंडली में प्रेरित धारा की दिशा वामावर्त होती है

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यदि चुंबक को स्थिर रखकर कुंडली के गतिशील होने पर प्रेरित धारा की दिशाएं

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v. imp*
Q - 1 सिद्ध कीजिए कि लेंज का नियम ऊर्जा संरक्षण नियम की पालना करता है?
अथवा
सिद्ध कीजिए कि लेंज का नियम ऊर्जा संरक्षण के नियम का एक रूप है?

Ans - लेंज का नियम वास्तविकता मैं ऊर्जा संरक्षण के नियम का एक रुप है जब किसी छड़ चुंबक चालक कुंडली के निकट लाया जाता है या कुंडली से दूर ले जाया जाता है तो दोनों स्थितियों में कुंडली में प्रवाहित धारा के कारण कुंडली के सिरों पर उत्पन्न चुंबकीय ध्रुवता के कारण चुंबक की गति में विरोध होता है चुंबक की गति को एक समान बनाए रखने के लिए बाह्य कार्य की आवश्यकता होती है तथा यही है कार्य विद्युत ऊर्जा के रूप में रूपांतरित होता है इस प्रकार लेंज के नियमानुसार विद्युत चुंबकीय प्रेरण में यांत्रिक ऊर्जा विद्युत के रूप में होती है अतः हम यह कह सकते हैं कि लेंज का नियम वास्तविकता में ऊर्जा संरक्षण नियम का ही एक रूप है।


प्रेरित धारा तथा प्रेरित आवेश की गणना -
फैराडे तथा लेंस के नियम से प्रेरित विद्युत वाहक बल

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Q - 1 1.6cm2 क्षेत्रफल 50 फेरों वाली एक कुंडली को 0.3 सेकंड में 1.8T चुंबकीय क्षेत्र में इस प्रकार रख दिया जाता है कि इसका तल चुंबकीय क्षेत्र रेखाओं के लंबवत है यदि कुंडली का प्रतिरोध 10 ओम हो तो उसमें कुल कितना आवेश प्रवाहित होगा?

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फ्लेमिंग के दाएं हाथ का नियम :-
फ्लेमिंग के दाएं हाथ के नियमानुसार यादी दाएं हाथ की तर्जनी मध्यमा तथा अंगूठे को इस प्रकार फैलाए कि यह तीनों एक दूसरे के लंबवत हो यदि तर्जनी अंगुली चुंबकीय क्षेत्र की ओर इंगित करें तथा अंगूठा चालक की गति की दिशा को व्यक्त करें तो मध्यमा प्रेरित धारा की दिशा को व्यक्त करती है

Note - फ्लेमिंग का बाएं हाथ का नियम प्रेरित धाराओं के लिए तथा बाएं हाथ का नियम वास्तविक धाराओं के लिए लागू होता है

स्वरूप में चालक छड़ की गति के कारण प्रेरित विद्युत वाहक बल (गतिक विद्युत वाहक बल) :- माना की एक चालक छड़ PQ जिसकी लंबाई L है इसे एक समान चुंबकीय क्षेत्र के लंबवत V वेग से गति कराया जाता है तो चुंबकीय क्षेत्र की दिशा कागज के तल के लंबवत ऊपर की ओर है अतः इसे (•) से निरूपित करते हैं

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गतिक विद्युत वाहक बल - जब कोई सीधा चालक एक समान चुंबकीय क्षेत्र की फ्लक्स रेखाओं को काटता हुआ गति करता है तो चालक के सिरों के मध्य प्रेरित विद्युत वाहक बल उत्पन्न हो जाता है जिसे गतिक विद्युत वाहक बल कहते हैं


Q - 3 रेल की दो पटरियों आपस में तथा जमीन से अलग हैं इन्हें एक वोल्ट मीटर से जोड़ा जाता है जब इन पर एक रेलगाड़ी 180 किलोमीटर प्रति घंटा की चाल से दौड़ती है तो वोल्टमीटर का पाठ्यांक क्या होगा पटरिया परस्पर 1 मीटर दूरी पर है तथा पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र का ऊर्ध्वाधर घटक 0.2×10-4 - Webber/m2 है?

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स्वरूप चुंबकीय क्षेत्र में एक चालक छड़ की घूर्णन गति के कारण उत्पन्न प्रेरित विद्युत वाहक बल :- माना कि एक चालक छड़ OP जिसकी लंबाई L है यह ट्रस्ट के लंबवत अंदर की ओर कार्यरत चुंबकीय क्षेत्र B में W कोणीय वेग से घुर्णन रह रही है।
प्रेरित विद्युत वाहक बल का मान ज्ञात करने के लिए एक dL लम्बाई के अल्पांश की कल्पना करते हैं जो कीचड़ छड़ के o सिरे से m दूरी पर स्थित है।

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स्वरूप चुंबकीय क्षेत्र में धातु की चकती की घूर्णन गति के कारण उत्पन्न प्रेरित विद्युत वाहक बल :- माना की r त्रिज्या की धातु की चकती v वेग से घूर्णन कर रही है इस चकती पर चुंबकीय क्षेत्र B लंबवत अंदर की ओर कार्यरत है अतः इसे क्रॉस से निरूपित करते हैं जैसा कि चित्र में दिखाया गया है

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असमान चुंबकीय क्षेत्र में नियत वेग से गति के कारण आयताकार रूप में प्रेरित विद्युत वाहक बल :- माना कि एक लंबाई L तथा चौड़ाई की PQRS एक आयताकार कुंडली है यह असमान चुंबकीय क्षेत्र B तथा B2 में लंबवत रखी हुई है। इसकी PS भुजा पर B1 तथा QR भुजा पर B2 चुंबकीय क्षेत्र कुंडली के लंबवत कार्य करता है अब हम इस आयताकार कुंडली को नियत वेग से चुंबकीय क्षेत्र के लंबवत v से दाएं और अल्पांश समय के लिए गति कराते हैं,तब ∆t समय मे कुंडली द्वारा पार किया गया  क्षेत्रफल

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समरूप चुंबकीय क्षेत्र में आयताकार कुंडली की घूर्णन गति के कारण उत्पन्न प्रेरित विद्युत वाहक बल :-

iamge


शैथिल्य वक्र का वर्णन :- शेखचिल्ली बकरी के लिए हम एक लोहे चुंबकीय पदार्थ लेते हैं जो प्रारंभ में विचुम्बकीत  रहते हैं इस पदार्थ को परिनालिका में रखकर जब धारा प्रवाहित करते हैं तो चुंबक क्षेत्र H उत्पन्न होता है जिसके कारण पदार्थ का चुंबक क्षेत्र बढ़ जाता है धारा का मान बढ़ाने पर चमक क्षेत्र बढ़ता है तथा इसके संगत पदार्थ का चुंबकीय क्षेत्र भी बढ़ता है व  ग्राफ अरेखीय रूप से (0'a) के अनुदिश बढ़ती है

* चुंबक क्षेत्र का मान बढ़ाने पर चुंबकीय क्षेत्र अधिकतम होकर रुक जाता है यह अवस्था संतृप्ती कहलाती है धारा का मान बंद करने पर चुंबकीय क्षेत्र का मान शुन्य हो जाता है परंतु चुंबकीय क्षेत्र घटता है शुन्य न होकर एक निश्चित मान पर आकर रुक जाता है

* लोह चुंबकीय पदार्थों से चुंबकीय क्षेत्र H हटा लेने के पश्चात भी चुंबकीय क्षेत्र का शेष रह जाना धारणशीलता कहलाता है तथा शेष चुंबकिय क्षेत्र को अवशेष चुम्बकत्व कहा जाता हैं। क्योंकि कुछ डोमेन चुंबकीय क्षेत्र की दिशा में ही संरेखित रह जाते हैं।
चुंबकीय क्षेत्र को शून्य करने के लिए धारा को विपरीत दिशा में प्रवाहित करते हैं

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चुम्बकीय क्षेत्र का वह ऋणात्मक मान जिस पर लोह चुंबकीय पदार्थ का अवशेष चुंबकत्व शून्य हो जाता है उसे निग्राहित कहते हैं

धारा को पुनः बढ़ाने पर चुंबकीय क्षेत्र अपने अधिकतम मान पर आकर रुक जाता है उन्हें धारा को शुन्य करने पर पुनः अवशेष चुंबकत्व वाली स्थिति आ जाती है इस प्रकार यह व्यवस्था चलती रहती है

Q 4 नरम लोहा एवं इस्पात में अंतर लिखिए?
Ans -
नरम लोहा - (1) इसकी धारण क्षमता ज्यादा होती है
(2) निग्राहिता कम होती है
(3) इसमे शेथिल्य वक्र सकरा होता है।
(4) इसमे शेथिल्य हानि काम होती है।
(5) इसका इस का उपयोग ट्रांसफार्मर एवं विद्युत चुंबक बनाने में किया जाता है
 
इस्पात -
(1) इसकी धारण क्षमता कम होती है
(2) इसकी निग्राहिता ज्यादा होती है
(3) शैथिल्य वक्र चौड़ा होता है
(4) शैथिल्य हानि ज्यादा होती है
(5) इसका उपयोग स्थाई चुंबक बनाने में किया जाता है

शेथिल्य हानि - लोहे चुंबकीय पदार्थ को चुंबन के लिए दी गई ऊर्जा का मान विचुम्बकन के लिए उत्सर्जित ऊर्जा से ज्यादा होता है जबकि विचुम्बकन के लिए हमें और ज्यादा ऊर्जा देनी पड़ती है अतः एक पूर्ण चक्कर में होने वाली ऊर्जा हानि शेथिल्य हानि कहलाती है

शेथिल्य हानि का सूत्र - प्रीति सेकंड से शेथिल्य वक्र में होने वाली ऊर्जा हानि


Q =  (पदार्थ का आयतन) × (B-H वक्र का क्षेत्रफल) × (चक्करो संख्या /आवृत्ती

Q = V×A×M

विद्युत चुंबक व स्थाई चुंबक में अंतर एवं गुण,उपयोग भी लिखिए?

विद्युत चुंबक - वे चुंबक जिनका का चुंबकत्व सीमांत काल तक रहता है अथवा जब तक धारा प्रवाहित की जाती है तब तक विद्युत चुंबक कहलाता है।

विद्युत चुंबक के लिए निम्न गुण होने चाहिए -
(1) धारण शीलता ज्यादा व निग्राहीता कम होनी चाहिए
(2) पदार्थ की चुंबक पारगम्यता ज्यादा होनी चाहिए
(3) शैथिल्य वक्र का क्षेत्रफल कम अथवा से शैथिल्य हानि कम होनी चाहिए
(4) चुंबकीय प्रवृत्ति का मान ज्यादा होना चाहिए
(5) विद्युत चुंबक बनाने के लिए नरम लोहा ज्यादा उपयुक्त होता है

विद्युत चुंबक के उपयोग - विद्युत चुंबक के उपयोग विद्युत,मोटर, विद्युत जनित्र, विद्युत क्रेन, चिकित्सालय में आंखों में गिरे लोहे के बुरादे को निकालने के लिए विद्युत चुंबको का उपयोग किया जाता है।

स्थाई चुंबक -
वे चुंबक जिनका चुंबकत्व अनंत काल तक रहता है स्थाई चुंबक कहलाते हैं

स्थाई चुंबक के लिए निम्न गुण होने चाहिए -
(1) धारण शीलता ज्यादा होनी चाहिए
(2) निग्राहिता ज्यादा होनी चाहिए
(3) चुंबकीय पारगम्यता ज्यादा होनी चाहिए
(4) शैथिल्य वक्र का क्षेत्रफल ज्यादा होता है तथा शैथिल्य हानि कम होती है

स्थाई चुंबक के उपयोग - Coming

धारावाही परिनालिका का स्वप्रेकत्व :-  image

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