Bihari biography in hindi - Bhihari satsai parichay
बिहारी के काव्य का भाव स्पष्ट कीजिए
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बिहारीलाल का जन्म
बिहारी के काव्य की विशेषताएं
बिहारीलाल का जन्म कब हुआ था
बिहारीलाल का जन्म किस गांव में हुआ
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बिहारी जी का जीवन काल
बिहारी जी का जन्म सन 1595 ईस्वी में हुआ था और उनकी मृत्यु सन 1663 ईस्वी में हुई थी इनका आयु काल 68 वर्ष का रहा है
बिहारी जी का परिचय
गागर में सागर भरने वाले रीतिकाल के महान् कवि बिहारी का जन्म ग्वालियर के निकट बसुआ नामक गाँव में हुआ था । इनके पिता का नाम केशवराय था । उन्होंने आमेर के राजा मिर्जा जयसिंह के दरबार में पहुँचकर अल्पवयस्का रानी के मोहपाश में राज कर्तव्य भूले राजा को एक दोहे के द्वारा सावचेत किया । काव्य - पारखी राजा ने उनका सम्मान किया व अपने दरबार में सम्मानजनक स्थान दिया । बिहारी ने ' सतसई ' की रचना की । कवि ने भक्ति , नीति , शृंगार , प्रकृति - चित्रण , ज्योतिष एवं बहुआयामी ज्ञान पर आधारित दोहों की रचना कर अक्षय कीर्ति अर्जित की । वे निम्बार्क सम्प्रदाय में दीक्षित हुए तथा राधा - कृष्ण की भक्ति की । उनकी रचनाओं में उक्ति वैचित्र्य , अन्योक्ति , अर्थ - गाम्भीर्य , अर्थ - विस्तार अलंकारिकता तथा कल्पना की समाहार शक्ति का विलक्षण समावेश है । उनकी समाहार शक्ति के कारण ही कहा गया है सतसइया के दोहरे ज्यों नावक के तीर । देखन में छोटे लगे घाव करे गम्भीर ।। प्रस्तुत पाठ में बिहारी के भक्ति , नीति एवं शृंगार के दोहे लिए गए हैं । कवि सांसारिक - बाधाओं से मुक्ति हेतु राधाजी की आराधना करता है तो दूसरी तरफ अपने प्रभु श्रीकृष्ण को उपालम्भ देता है कि आपको भी संसार की हवा लग गई है । मुक्तात्माओं के सांनिध्य से अधम भी मुक्त हो जाता है । श्रीकृष्ण की बातों का आनन्द - रस पाने के लिए गोपियाँ उनकी मुरली छिपा लेती हैं । वन में कृष्ण के आते ही बिना वर्षा मोर नाचने लगते हैं । नायक व नायिका भरे भवन में संकेतों से वार्तालाप करते हैं । झीने वस्त्रों में नायिका ऐसे सुशोभित हो रही है जैसे सागर में कल्पवृक्ष की डाल ।
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बिहारी के काव्य का भाव स्पष्ट कीजिए
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बिहारीलाल का जन्म किस गांव में हुआ
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