Kavi bhushan biography in hindi - Bhushan biography in hindi
कवि भूषण का मूल नाम है।
कवि भूषण की कविता में कौन सा गुण है
कवि भूषण की प्रसिद्ध रचना का नाम है।
भूषण की मृत्यु कब हुई
भूषण के काव्य में किन चरित नायकों का वर्णन किया गया है
कवि भूषण कविता शिवाजी महाराज
शिवाजी की तुलना भूषण ने भृंगराज से क्यों की है
कवि भूषण का जन्म कहां हुआ था कवि भूषण का मूल नाम है।
कवि भूषण की कविता में कौन सा गुण है
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भूषण के पदों की व्याख्या
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भारत भूषण का जीवन परिचय
भूषण के काव्य की विशेषता
kavi-bhushan-biography-in-hindi Kavi is the original name of Bhushan.
Which quality is there in the poetry of poet Bhushan?
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When did Bhushan die?
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Kavi Bhushan Kavita Shivaji Maharaj
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Explanation of Bhushan's posts
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Biography of Bharat Bhushan Characteristics of Bhushan's Poetry
भूषण जी का जीवन काल
भूषण जी का जन्म 1663 ईस्वी में हुआ था और उनकी मृत्यु 1715 ईस्वी में हुई है इनका आयु काल 102 वर्ष का रहा है
भूषण जी का परिचय
रीतिकाल की शृंगार प्रधान काव्य - सरिता में वीररस की प्रबल धार बहाने वाले कवि भूषण का जन्म उत्तरप्रदेश में कानपुर के तिकवाँपुर गाँव में हुआ था । उनके पिता रत्नाकर त्रिपाठी थे । इनका मूल नाम घनश्याम था तथा भूषण इनकी उपाधि है । इन्हें छत्रपति शिवाजी तथा छत्रसाल महाराज के दरबार में विशेष सम्मान प्राप्त हुआ । कवि भूषण की रचनाओं में शिवराजभूषण , छत्रसालदशक , शिवाबावनी , भूषण हजारा व भूषण उल्लास आदि का उल्लेख किया जाता है । उनकी सर्वाधिक प्रसिद्ध रचना शिवराजभूषण है । भूषण की रचनाओं में राष्ट्रीयता की भावना , वीरता के उद्गार व ओज गुण का वैशिष्ट्य है । कवि की वाणी देशवासियों के लिए आज भी प्रेरणादायी है । प्रस्तुत पाठ में कविवर भूषण के पाँच कवित्त लिए गए हैं । शिवाजी जब युद्ध के लिए प्रस्थान करते है तो संसार भर में खलबली मच जाती है । धूल के गर्द में सूर्य तारे जैसा लगने लगता है ; समुद्र थाली में रखे पारे की तरह प्रतीत होता है । औरंगजेब के दरबार में समुचित सम्मान न पाकर क्रोध से उबलते शिवाजी का रौद्र लाल मुख देखकर औरंगजेब का मुख काला व उसके सिपाहियों का मुख भय से पीला पड़ जाता है । शेषनाग , विधाता ( कर्तार ) व यमराज के दायित्वों को असल में तो शिवाजी ही निभाते हैं । शिवाजी का शत्रुओं पर आधिपत्य ऐसा है जैसे इन्द्र का जंभासुर पर , बड़वानल का सागर पर , राम का रावण पर , वायु का बादलों पर , शंकर का कामदेव पर , परशुराम का सहस्रबाहु पर , दावाग्नि का वृक्षों पर , चीते का मृग - समूह पर , शेर का हाथियों पर , प्रकाश का अंधकार पर व श्रीकृष्ण का कंस पर है । इसी प्रकार कवि शिवाजी की तुलना गरुड़ , सिंह , इन्द्र , बाज एवं सूर्य से करता है । कवि मानता है कि सूर्य के समान नवखण्ड भूमण्डल पर सर्वत्र शिवाजी का वर्चस्व है ।
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