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हरिवंश राय बच्चन का जन्म सन 1907 ईस्वी में हुआ था और उनकी मृत्यु 2003 में हुई थी हरिवंश राय बच्चन के जीवन का अंतराल 96 वर्ष का रहा है


हालावाद के प्रवर्तक हरिवंश राय बच्चन उत्तर छायावाद काल के प्रमुख कवि रहे हैं । वे अपनी काव्य - यात्रा के प्रारम्भिक दौर में मध्ययुगीन फ़ारसी कवि उमर खय्याम के जीवन - दर्शन से बहुत प्रभावित रहे । उमर खय्याम की रुबाइयों से प्रेरित उनकी प्रसिद्ध कृति मधुशाला को कवि - मंच पर जबरदस्त लोकप्रियता मिली । कवि की विलक्षण प्रतिभा इश्क , मोहब्बत , पीड़ा जैसी रूमानियत से भरी हुई थी । वे परस्पर झगड़ने के बजाय प्यार को महत्त्व देते थे । उनकी प्रमुख काव्य रचनाएँ हैं - मधुशाला , मधुबाला , मधुकलश , निशा निमंत्रण , एकांत संगीत , आकुल - अंतर , मिलनयामिनी , सतरंगिणी , आरती और अंगारे , नए पुराने झरोखे तथा टूटी - फूटी कड़ियाँ । इनके चार आत्मकथा खण्ड हैं- क्या भूलूँ क्या याद करूँ , नीड़ का निर्माण फिर , बसेरे से दूर तथा दशद्वार से सोपान तक । इनके द्वारा लिखित ' प्रवासी की डायरी ' तथा अनुवाद ग्रंथ हैमलेट , जनगीता व मैकबेथ भी लोकप्रिय रहे । यहाँ संगृहीत उनकी कविता आत्मपरिचय अपनी अस्मिता , अपनी पहचान का बोध कराती है । सुख - दुःख को समभाव से स्वीकारते हुए जगजीवन से जुड़े रहकर जीने में ही आनन्द है । कवि स्नेह - सुरा का पान करके.अपनी मस्ती में जीवन का गान गाता है । संसार की मौजों में मस्तभाव से बहना कवि को भाता है । अपनी मस्ती में वह नित नए जग का निर्माण करता है । दीवानगी का आलम यह है कि उसे अपने रुदन में भी नये राग , नये छंद का आभास होता है । जो अपने आपको पूरी तरह पहचान लेता है उसके लिए यहाँ वहाँ सर्वत्र मस्ती ही मस्ती होती है ।

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