Atomic model 12th Physics Notes Pdf Download परमाणु मॉडल chapter 14

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Atomic model ( paramaanu modal )

परमाणु मॉडल -  14


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परमाणु : - किसी भी पदार्थ का अति सूक्ष्म कण जिसको हम और अधिक विभाजित नहीं कर सकते परमाणु कहलाता है।

थॉमसन का परमाणु मॉडल :- थॉमसन के अनुसार परमाणु 10( की घात-10)M त्रिज्या का एक गोला होता है जिसके संपूर्ण द्रव्यमान में धन आवेशित वितरित होता है परंतु विद्युत उदासीन होते हैं इनके बीच बीच में इलेक्ट्रॉन इस प्रकार धसे से होते हैं कि जैसा कि तरबूज में बीज इससे प्लम पुडिंग मॉडल भी कहा जाता है।
इस सिद्धांत के द्वारा प्रकाश विद्युत प्रभाव तापयनिक उत्सर्जन वह गैसों के आयनिकृत की सफलतापूर्वक व्याख्या की जाती है

थॉमसन मॉडल की कमियां :- 

=>थॉमसन रदरफोर्ड के अल्फा प्रकीर्णन को नहीं समझा सका
=> थॉमसन मॉडल द्वारा हाइड्रोजन के रेखीय स्पेक्ट्रम की व्याख्या नहीं कर सकते हैं

अल्फा कण प्रकीर्णन प्रयोग एवं रदरफोर्ड मॉडल :- 

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रदरफोर्ड के सुझाव पर गायी गण एवं मार्सडन ने सोने की बनी धातु की पतली पन्नी पर अल्फा कणों के आपतन का अध्ययन किया।
कौन मारा है
=> अल्फा कण द्वि आयनिक हिलियम नाभिक होते हैं
=> इनका द्रव्यमान प्रोटोन के 4 गुना होता है
=> अल्फा कण रेडियो सक्रिय पदार्थों द्वारा जैसे पोलेनियम, यूरेनियम, थोरियम द्वारा स्वत: उत्सर्जित किए जाते हैं
=> सोने का नाभिक He के नाभिक से 50 गुना ज्यादा भारी होता है अत: प्रकीर्णन के समय यह स्थिर रहता है
जिस रेडियो सक्रिय पदार्थ से अल्फा कणों को उत्सर्जित करवाया जाता है उसको एक लेड बॉक्स में रखकर उसके आगे कीटो द्वारा संरेखित अल्फा पुंज प्राप्त किया जाता है 
अल्फा कणों का संकुचन करने के लिए एक घूर्णी  गणित्र का प्रयोग किया जाता है
इसके पीछे की ओर जिंक सल्फाइड का पर्दा लगा होता है एवं प्रकीर्णन अल्फा कणों की संख्या के लिए सूक्ष्मदर्शी का प्रयोग किया जाता है
=> प्रयोग से प्राप्त रदरफोर्ड के प्रेक्षण एवं निष्कर्ष : - 

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प्रेक्षण - रदरफोर्ड ने प्रयोग में यह पाया कि आपतित अल्फा कणों में से अधिकांश अल्फा कण बिना विचलन के सीधे निकल जाते हैं
निष्कर्ष - अतः परमाणु का अधिकांश भाग खोकला होता है

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प्रेक्षण - अल्फा कण न्यूनकोण अथवा 1 डिग्री से अधिक कोण पर विक्षेपित होते हैं
निष्कर्ष - रदरफोर्ड के अनुसार He कण धनावेशित होते है व धनावेशित को केवल धनावेशित ही विक्षेपित कर सकता है अतः रदरफोर्ड ने माना कि परमाणु का संपूर्ण धन आवेश केंद्र में होता है।
=>
प्रेक्षण - लगभग 80, 000 कणों में से एक या दो कण आपतन की दिशा के विपरीत दिशा में लगे होते हैं
निष्कर्ष - अल्फा कणों का विपरीत दिशा में लौट आना यह व्यक्त करता है कि परमाणु का अधिकांस द्रव्यमान एवं धन आवेश उसके एक सूक्ष्म केंद्र में निहित होता है।

रदरफोर्ड के परमाणु मॉडल के महत्वपूर्ण बिंदु -  
=> परमाणु का संपूर्ण धन आवेश लगभग संपूर्ण द्रव्यमान उसके केंद्र पर 10 (घात 10) m त्रिज्या की कोटी का होता है
=> नाभिक के चारों और इलेक्ट्रॉन 10 (घात 10)m त्रिज्या की कोटि में वितरित रहते हैं व इलेक्ट्रॉन का कुल ऋण आवेश धन आवेश के बराबर होता है
=> इलेक्ट्रॉन पर ऋण आवेश होने के कारण एवं नाभिक पर धन आवेश होने के कारण इलेक्ट्रॉन नाभिक में गिर जाने चाहिए अतः रदरफोर्ड ने यह माना कि नाभिक के चारो और वृत्ताकार कक्षाओं में चक्कर लगाते हैं इस अवस्था में कूलाम बल अभिकेंद्रीय बल प्रदान करता है

रदरफोर्ड मॉडल की कमियां :- 

=> परमाणु का स्थायित्व - रदरफोर्ड के अनुसार इलेक्ट्रॉन नाभिक के चारों ओर वृत्ताकार कक्षा में चक्कर लगाता है एवं इस पर अभिकेंद्रीय बल कार्य करता है परंतु आवेशित कण वृत्ताकार पथ पर गति करता हुआ विद्युत चुंबकीय तरंगे उत्सर्जित करता है अतः इलेक्ट्रॉन की ऊर्जा में लगातार कमी आने के कारण इसकी त्रिज्या में निरंतर कमी आएगी 
अन्त में यह नाभिक में गिर जाएगा अतः परमाणु स्थाई नहीं रहता जबकि परमाणु स्थाई रहता है
=> रदरफोर्ड रेखिए स्पेक्ट्रम की व्याख्या नहीं करता है
=> रदरफोर्ड ने स्पेक्ट्रम रेखाओं की तीव्रता को विद्युत चुंबकीय क्षेत्र में आरोपित करने पर स्पेक्ट्रमी रेखाओं की भी व्याख्या नहीं कर सका।

बोर का परमाणु मॉडल :- 
हाइड्रोजन परमाणु के लिए अथवा इसके गैस अथवा आयन के लिए
बोर और मॉडल की परिकल्पनाए अथवा अवधारणाएं निम्न है

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बोर मॉडल की प्रथम अवधारणा - बोर के अनुसार परमाणु के नाभिक इलेक्ट्रॉन द्वारा गिरा रहता है एवं यह इलेक्ट्रॉन बिना किसी ऊर्जा को उत्सर्जित किए नाभिक के चारों ओर वृत्ताकार कक्षाओं में चक्कर लगाते हैं इस अवस्था में इलेक्ट्रॉन नाभिक के बीच लगने वाला स्थिर विद्युत आकर्षण बल आवश्यक अभिकेंद्रीय बल प्रदान करता है

स्थिर विद्युत आकर्षण बल = अभिकेंद्रीय बल

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*imp
बोर मॉडल की द्वितीय अवधारणा - 
इलेक्ट्रॉन नाभिक के चारो और उन्हीं कक्षाओं में चक्कर लगाता है जिन कक्षाओं में उसका कोणीय संवेग h/2π  का पूर्ण गुणज होता है

mvr = nh/2π

बोर मॉडल की तीसरी अवधारणा - 
स्थाई कक्षाओं में चक्कर लगाता हुआ इलेक्ट्रॉन न  तो ऊर्जा ग्रहण करता है और न ही ऊर्जा का त्याग करता है परंतु जब इलेक्ट्रॉन उच्च ऊर्जा कक्षा में प्रवेश करता है तो ऊर्जा ग्रहण करता है एवं निम्न कक्षा में लौटते समय उतनी ही ऊर्जा का त्याग करता है 

बोर मॉडल की चतुर्थ अवधारणा - 
इलेक्ट्रॉन द्वारा त्यागी गई एवं ग्रहण की गई ऊर्जा दोनों कोश के ऊर्जा अंतर पर निर्भर करती है।

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-:- बोर मॉडल के द्वारा इलेक्ट्रॉन की कक्षीय त्रिज्या का मान ज्ञात करना :- माना कि एक इलेक्ट्रॉन जिसकी त्रिज्या r के व्रताकार कक्ष में V वेग से गति कर रहा है
अतः बोर की प्रथम अवधारणा द्वारा 

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बोर मॉडल द्वारा इलेक्ट्रॉन का कक्षीय वेग का मान ज्ञात करना :- 

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बोर मॉडल के द्वारा इलेक्ट्रॉन की कक्षीय आवृत्ति का मान ज्ञात करना :- 

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बोर मॉडल के द्वारा इलेक्ट्रॉन की कक्षीय उर्जा ज्ञात करना :- 

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-:- हाइड्रोजन परमाणु के ऊर्जा स्तर एवं इनकी ऊर्जा का मान ज्ञात करना :- 
हाइड्रोजन परमाणु के लिए z = 1 होता है
यदि हाइड्रोजन परमाणु का इलेक्ट्रॉन प्रथम कक्षा में चक्कर लगाए तो इसकी ऊर्जा

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-:- बोहर सिद्धांत के द्वारा हाइड्रोजन स्पेक्ट्रम की व्याख्या - 
जब हाइड्रोजन परमाणु के इलेक्ट्रॉन को उचित ऊर्जा दी जाती है तो यह उच्च ऊर्जा स्तर में चला जाता है पुनः जब ये निम्न ऊर्जा स्तर में संक्रमण करता है तो यह ऊर्जा का त्याग करता है यह ऊर्जा हमें विद्युत चुंबकीय विकिरण के रूप में प्राप्त होती है
बोर की अवधारणा द्वारा उत्सर्जित ऊर्जा दोनों ऊर्जा स्तर के अंतर के बराबर होती है

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-:- हाइड्रोजन स्पेक्ट्रम की श्रेणियां :- हाइड्रोजन स्पेक्ट्रम में निम्न श्रेणीया होती है
(1) लाइमर श्रेणी - यदि H परमाणु का इलेक्ट्रोन किसी उच्च ऊर्जा स्तर से प्रथम ऊर्जा स्तर में प्रवेश करता है तो प्राप्त श्रेणी लाईमर श्रेणी कहलाती है
इस श्रेणी की परास विद्युत चुंबकीय स्पेक्ट्रम के पराबैगनी भाग में होती है

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(2) बामर श्रेणी - यदि हाइड्रोजन परमाणु का इलेक्ट्रॉन किसी उच्च उर्जा स्तर से दूसरे ऊर्जा स्तर में प्रवेश करता है तो प्राप्त श्रेणी बामर श्रेणी कहलाती है 
यह श्रेणी विद्युत चुंबकीय स्पेक्ट्रम के दृश्य भाग में प्राप्त होती है

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(3) पाश्चन श्रेणी - यदि हाइड्रोजन परमाणु का इलेक्ट्रॉन किसी उच्च ऊर्जा स्तर से तीसरे स्तर में प्रवेश करता है तो प्राप्त श्रेणी पाश्चन श्रेणी कहलाती है 
यह श्रेणी विद्युत चुंबकीय स्पेक्ट्रम के अवतस्त क्षेत्र में प्राप्त होती है

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(4) ब्रेकेट श्रेणी - यदि हाइड्रोजन परमाणु का इलेक्ट्रॉन किसी उच्च ऊर्जा स्तर से चतुर्थ ऊर्जा स्तर में प्रवेश करता है तो यह श्रेणी ब्रेकेट श्रेणी कहलाती है
यह श्रेणी विद्युत चुंबकीय स्पेक्ट्रम के अवतस्त भाग में प्राप्त होती है

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(5) फूण्ड श्रेणी - यदि हाइड्रोजन परमाणु का इलेक्ट्रॉन किसी उच्च ऊर्जा स्तर से पांचवी ऊर्जा स्तर में प्रवेश करता है तो प्राप्त श्रेणी फूण्ड श्रेणी कहलाती है 
यह श्रेणी विद्युत चुंबकीय स्पेक्ट्रम के अवतस्त भाग में प्राप्त होती है

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हाइड्रोजन स्पेक्ट्रम का चित्र -  image


हाइड्रोजन के रेखील स्पेक्ट्रम की व्याख्या :- 

जब हाइड्रोजन गैस को एक नली में भरकर गर्म किया जाए अथवा न्यून दाब पर भरकर विद्युत धारा प्रवाहित की जाती है तो यह विकिरण उत्सर्जित करती है उत्सर्जित विकिरण को स्पेक्ट्रोमीटर के द्वारा विश्लेषण करने पर इसमें कुछ कुछ विशिष्ट तरंग धैर्य की उपस्थिति होती है अतः इसे उत्सर्जन रेखील स्पेक्ट्रम कहा जाता है इसमें काली पृष्ठभूमि पर चमकीली रेखाएं प्राप्त होती हैं

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आयनन ऊर्जा (आयनन विभव) :- किसी परमाणु को आयोजित करने के लिए आवश्यक न्यूनतम ऊर्जा आयनन ऊर्जा कहलाती है इसके संगत विभव आयनन विभव कहलाता है
Ex - (1) प्रथम कक्षा के लिए इलेक्ट्रॉन की आयनन ऊर्जा व आयनन विभव
   E = E2 - E1
   E = E(अनंत) - En

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(2)- दूसरी कक्षा के लिए आयनन ऊर्जा व आयनन विभव

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उतेजन ऊर्जा व उतेजन विभव :- किसी परमाणु को एक अवस्था से दूसरी अवस्था तक उत्तेजित होने के लिए आवश्यक ऊर्जा उतेजन ऊर्जा कहलाती है एवं इसके संगत विभव को उतेजन विभव कहा जाता है
Ex - (1) - यदि हाइड्रोजन के इलेक्ट्रॉन को प्रथम कक्षा से दूसरी कक्षा में जाने के लिए उत्तेजित ऊर्जा व उतेजन विभव

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Q- 1 हाईड्रोजन परमाणु के इलेक्ट्रॉन को दूसरी कक्षा से चौथी कक्षा में आने के लिए उतेजन ऊर्जा व उत्तेजन विभव का मान बताइए?

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श्रेणीयॉ की अधिकतम व न्यूनतम तरंगदैर्ध्य का मान ज्ञात करना :- 

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बोहर मॉडल की कमियां :- 
(1) बोर मॉडल केवल एक इलेक्ट्रॉन वाले परमाणु जैसे हाइड्रोजन, हीलियम(He+), लिथियम(Li+2) के लिए ही मान्य होता है
(2) बोर इसका कारण नहीं बता सके कि वृत्ताकार कक्षा में चक्कर लगाता हुआ त्वरित इलेक्ट्रॉन ऊर्जा उत्सर्जित नहीं करता है
(3) कोणीय संवेग h/2π का पूर्ण गुणज होता है इस समीकरण की व्याख्या बोर नहीं कर सका
(4) बोर स्पेक्ट्रमी रेखाओं की तीव्रता की व्याख्या नहीं कर सका
(5) बोर स्पेक्ट्रमी रेखाओं की सूक्ष्म संरचना की व्याख्या नहीं कर सका
(6) चुंबकीय क्षेत्र आरोपित करने पर स्पेक्ट्रमी रेखाओं का विपाटन जिससे जीमान प्रभाव कहते हैं एवं विद्युत क्षेत्र आरोपित करने पर स्पेक्ट्रमी रेखाओं का विभाटन स्टार्ट प्रभाव आदि की व्याख्या बोर नहीं कर सका।

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बोहर की द्वितीय अवधारणा दे ब्रोग्ली द्वारा स्पष्टीकरण - 

बोर की द्वितीय का अवधारणा के अनुसार इलेक्ट्रोल उन्हें कक्षाओं में चक्कर लगाता है जिसमें इलेक्ट्रॉन का कोणीय संवेग h/2π का पूर्ण गुणज है

mvr = nh/2π

डी ब्रोग्ली के तरंग सिद्धांत के अनुसार गतिशील इलेक्ट्रॉन से तरंग संबंध होती है एवं इन तरंगों की प्रकृति अप्रगामी होती है क्योंकि अप्रगामी तरंगों की ऊर्जा नियत रहती है।

2πr = nλ      - (1)

द्रव्य तरंग के लिए λ = n/P =  h/mv    -(2)

समीकरण -(1) में λ का मान रखने पर 

2πr = n(h/mv) 

mvr = nh/2π      इति सिद्धम

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Note - यदि कोई इलेक्ट्रॉन n वीं कक्षा में चक्कर लगाता हुआ निम्न ऊर्जा स्तर में संक्रमण करता है तो प्राप्त श्रेणीयॉ की कुल संख्या 
N = n(n-1)/ 2

Q- 2 यदि कोई इलेक्ट्रॉन चौथी उर्जा कक्षा में चक्कर लगा रहा है तो प्राप्त श्रेणियां की कुल संख्या बताइए?

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Q - 3 बामर श्रेणि की प्रथम रेखा की तरंग धैर्य का मान बताइए?

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Q - 4 हाइड्रोजन(H) परमाणु का इलेक्ट्रॉन प्रथम कक्षा में व हीलियम(He)परमाणु का इलेक्ट्रॉन दूसरी कक्षा में चक्कर लगाए तो इनकी क्रियाओं का अनुपात बताइए?

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