ठोस किसे कहते हैं
पदार्थ की वह अवस्था जिसमें अवयवी कण, कार्बन, अणु, परमाणु, आयन, प्रबल अंतराआण्विक आकर्षण बल से जुड़े होते हैं ठोस कहलाते हैं
ठोस दो प्रकार के होते हैं
क्रिस्टलीय ठोस -ऐसे ठोस जिनमें अवयवी कण एक निश्चित ज्यामिति में होते हैं क्रिस्टलीय ठोस कहलाते हैं जैसे हीरा क्वार्टर्स
Q - क्रिस्टलीय ठोस और को वास्तविक ठोस कहा जाता है क्यों?
क्रिस्टलीय ठोस ओ को वास्तविक ठोस इसलिए कहते हैं क्योंकि इसमें अवयवी कण एक निश्चित ज्यामिति में होते हैं और अवयवी कण प्रबल अंतराआणविक आकर्षण बलों द्वारा जुड़े रहते हैं इसीलिए क्रिस्टलीय ठोसो को वास्तविक ठोस भी कहा जाता है
अक्रिस्टलीय ठोस - ऐसे जिनमें अवयवी कण एक निश्चित ज्यामिति में नहीं होते हैं एक क्रिस्टलीय ठोस कहलाते हैं इस प्रकार के ठोसों को अतिसिति द्रव्य भी कहा जाता है
जैसे - कांच, रब्बर, प्लास्टिक
ठोसों के विद्युतीय गुण कौन-कौन से हैं
चालकता के आधार पर ठोस कितने प्रकार के होते हैं
चालकता के आधार पर दूसरों को तीन भागों में बांटा गया है
चालक - इस प्रकार के ठोस विद्युत धारा का चालन अत्यधिक मात्रा में करते हैं इनकी चालकता की कोटी 10^4 से 10^7 ओम^ -1 मीटर^-1 होती है
चानक ठोस कितने प्रकार के होते हैं
चालक ठोस दो प्रकार के होते हैं
1. धात्विक चालक - ऐसे ठोस जिसमें विद्युत धारा का चालन इलेक्ट्रॉनों के रूप में होता है तथा विद्युत धारा प्रवाहित करने पर कोई रासायनिक परिवर्तन नहीं होता है तो यह ठोस और द्रव्य दोनों अवस्थाओं में विद्युत धारा का चालन करते हैं तापमान बढ़ने पर इनकी चालकता घटती है जैसे सभी धातुएं
2. विद्युत अपघटनी (आयनिक चालक) - ऐसे ठोस जिनमें विद्युत धारा का चाल मुक्त आयनो के रूप में होता है विद्युत धारा प्रवाहित करने पर इनमें रासायनिक परिवर्तन होते हैं तथा ताप बढ़ने पर इनकी चालकता बढ़ती है यह ठोस अवस्था में विद्युत धारा का चालन नहीं करते हैं परंतु गलित अवस्था विलियन अवस्था में आयन गतिशील होने के कारण यह चालकता प्रदर्शित करते हैं जैसे Nacl,Kcl
कुचालक - इस प्रकार के पदार्थों में विद्युत धारा का चालन नहीं होता है इनकी चालकता की कोटी 10^-20 से 10^-10 ओम^ -1 मीटर^-1 होती है अतः यह चालकता प्रदर्शित नहीं करते हैं जैसे लकड़ी, प्लास्टिक, सल्फर
अर्धचालक - इस प्रकार के पदार्थों की चालकता चालको व चालकों के मध्य की होती है इनकी चालकता की कोठी कोटी 10^-6 से 10^4 ओम^ -1 मीटर^-1 होती है तथा 0° केल्विन पर पूर्ण रूप से कुचालक के समान व्यवहार करते हैं ताप बढ़ने से इनकी चालकता में भी वृद्धि होती है
अर्धचालक कितने प्रकार के होते हैं विस्तार से समझाइए
अर्द्धचालकों के प्रकार - अर्धचालक दो प्रकार के होते हैं
1. आंतर / आंतरिक / नैज अर्धचालक - इस प्रकार के ठोस ओके आज चालकों की चालकता बहुत कम होती है तापमान बढ़ने से इनकी चालकता में वृद्धि होती है क्योंकि उच्च ताप पर इनमें कुछ सह संयोजक बंध टूट जाने के कारण कुछ इलेक्ट्रॉन मुक्त होकर चालकता प्रदर्शित करते हैं इसीलिए इन्हें आंतर अर्धचालक कहा जाता है इन चालकों को आंतरिक अर्धचालक भी कहते हैं और नैज अर्धचालक भी कहते हैं
बाह्य या अपद्रवी अर्धचालक - इस प्रकार के अर्धचालक की चालकता बहुत कम होती है इन में अशुद्धि मिलाने से चालकता में वृद्धि होती है क्योंकि अशुद्धि मिलाने से इनमें मुक्त इलेक्ट्रॉन धनात्मक क्षेत्र उपलब्ध हो जाते हैं जोकी चालकता प्रदर्शित करते हैं इसीलिए इन्हें बाह्य अर्धचालक कहा जाता है
इन्हें दो भागों में बांटा गया है
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