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कृपाराम खिड़िया का जीवन काल
कृपाराम खिड़िया का जन्म 1743 ईस्वी में हुआ था और इनकी मृत्यु सन 1833 ईस्वी में हुई थी इनका आयु काल 90 वर्ष का रहा है।
कृपाराम खिड़िया का परिचय
राजस्थानी भाषा के प्रसिद्ध कवि कृपाराम खिड़िया का जन्म तत्कालीन मारवाड़ राज्य के खराड़ी गाँव के निवासी जगराम खिड़िया के यहाँ हुआ था । राजस्थानी भाषा डिंगल और पिंगल के उत्तम कवि व संस्कृत - मर्मज्ञ होने के कारण उन्हें सीकर के राव लक्ष्मण सिंह ने महाराजपुर और लछनपुरा गाँव जागीर में दिए थे । कवि कृपाराम सीकर के राजा देवी सिंह के दरबार में भी रहे । राजिया कृपाराम जी का सेवक था । एक बार कवि के बीमार पड़ने पर सेवक राजिया ने उनकी खूब सेवा - सुश्रूषा की , जिससे कवि बहुत प्रसन्न हुए । कोई संतान न होने के कारण राजिया बहुत दुःखी रहता था । राजिया के इसी दुःख को दूर कर उसे अमर करने हेतु कवि ने उसे सम्बोधित करते हुए नीति सम्बन्धी सोरठों की रचना की जो हिन्दी व राजस्थानी साहित्य में राजिया रा दूहा या राजिया रा सोरठा नाम से विख्यात है । इन सोरठों ने सेवक राजिया को कवि कृपाराम से भी अधिक लोकप्रिय बना दिया । प्रस्तुत पाठ में नीति व आदर्श लोक - मर्यादा की सीख देने वाले सोरठों का समावेश किया गया है । कोयल व काग की तुलना कर कवि मीठी वाणी की महत्ता बताता है । शक्कर व कस्तुरी के माध्यम से सौन्दर्य की तुलना में गुणों को श्रेयस्कर बताता है । दूसरों के कलह व विवाद से लोग आनन्दित होते हैं । हमारा व्यवहार मतलब पर आधारित होता है । मुख पर मधुरता और हृदय में खोट रखने वाले लोगों से आत्मीयता सम्भव नहीं है । मैत्री – निर्वाह हेतु समर्पण व सरलता जरूरी है । श्रीकृष्ण ने अर्जुन के लिए रथ हाँकने तक का काम कर लिया । आजकल हिम्मत की ही कीमत है ; हिम्मत - रहित व्यक्ति की कीमत रद्दी कागज - सी हो जाती है ।
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